आजमगढ़ में विकास की इबादत लिखने का मुलायम सिंह ने किया था काम, पढ़ें पूरी खबर

आजमगढ । समाजवादी पार्टी के सरंक्षक और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव कहा करते थे कि इटावा दिल है तो आजमगढ़ धड़कन। आज जब यह धड़कन ठहर गई तो आजमगढ़ में सन्नाटा पसर गया है और पसरे भी क्यों न। आजमगढ़ जिले में विकास की इबादत लिखने का जो काम मुलायम सिंह यादव ने किया है वह सब विकास कार्य जिले की जनता की जुबां पर रटा है।

वर्ष 2008 से बंद पड़ी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव का 2015 में मुलायम सिंह यादव ने आधारशिला रखी थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में चीनी मिल मुद्दा भी बना था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जोर-शोर से इसकी मांग उठी थी। उन्होंने आजमगढ़ के माथे पर लगा उद्योग शून्य जिले का दाग भी 333 करोड़ की लागत वाली चीनी मिल का लोकार्पण कर धो दिया था।

उन्होंने सांसद रहते एक साथ 553 करोड़ 99 लाख 16 हजार रुपये की 38 परियोजनाओं लोकार्पण और 665 करोड़ 83 लाख 16 हजार रुपये की 35 परियोजनाओं का शिलान्यास कर जनपदवासियों को एहसास कराया था कि वाकई उनका दिल आजमगढ़ के लिए धड़कता है। 6 फरवरी 2015 को नई चीनी मिल की नींव रखी और उसे शुरू भी करा दिया था। मिल से ही 15 मेगावाट का विद्युत उत्पादन भी शुरू कराया।

विकास की अन्य घोषणों के साथ उन्होंने आजमगढ़ को मंडल मुख्यालय बनाने की घोषणा की थी। 15 नवम्बर 1994 को उन्होंने कमिश्नरी के गठन की घोषणा के साथ उसे तुरंत क्रियाशील भी करा दिया था, ताकि विधिक शुरुआत हो जाए।

जनता पार्टी की सरकार में सहकारिता मंत्री रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह ने ईशदत्त यादव से प्रभावित होने के बाद आजमगढ़ का रास्ता चुना था। उस समय ईशदत्त यादव लालगंज क्षेत्र से विधायक थे। सदन में उनकी किसी बात पर नेताजी प्रभावित हो गए थे। बाद में लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बने और सूबे का भ्रमण शुरू किया, तो आजमगढ़ आना नहीं भूले। जिले में पहुंचे मुलालय सिंह ईशदत्त के सिधारी स्थित आवास भी गए थे। उसके बाद जिले में आना-जाना शुरू हुआ, तो वह हमेशा बना रहा। वर्ष 87-88 में बेनी प्रसाद वर्मा के साथ क्रांति रथ यात्रा निकाली। आजमगढ़ पहुंचने पर जगह-जगह जोरदार स्वागत ने उन्हें प्रभावित कर दिया था। ईशदत्त ने नेता जी को यहां के नेताओं से मिलवाया और संगठन यहां भी मजबूत होता गया। 

संघर्ष को राजनीति मानने वाले मुलायम ने जब देखा कि जनता के मुद्दे पर सड़क पर संघर्ष नहीं हो पा रहा है, तो 1992 में उससे अलग होकर समाजवादी पार्टी का गठन कर दिया। बसपा से गठबंधन हुआ तब तक वह आजमगढ़ को समझ चुके थे और पहली संयुक्त चेतना रैली के लिए यहां के जजी मैदान को चुना। स्थिति ऐसी बनी पूर्वांचल में बाकी दलों का सूपड़ा साफ हो गया था। बतौर सांसद आजमगढ़ में विकास की गाड़ी दौड़ाई थी। हवाई पट्टी, मेडिकल काॅलेज, कमिश्नरी की सौगात दी थी। उनका आजमगढ़ से गहरा लगाव था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह ने खुद आजमगढ़ सदर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था और आजमगढ़ से सांसद चुने गए।

15 नवम्बर 1994 को जब आजमगढ़ की कमिश्नरी का गठन हुआ तब उनके आजमगढ़ में सिपाहसलार रामदर्शन यादव जो अब भारतीय जनता पार्टी में है, ने कहा कि अब देश में दूसरा मुलायम कोई नहीं हो सकता है। वे बतातें है कि जब जिले में आधी आबादी के इलाज में परेशानी की बात नेताजी को बताई गई तो उन्होंने जिला महिला चिकित्सालय खोलने की अनुमति दी और इसका नामकर महापंडित राहुल सांस्कृत्यान का नाम दिया। मेडिकल काॅलेज और कमिश्नरी बनाने की बात आई तो उस समय अधिकारियों ने उन्हें खूब बरगलाया, लेकिन वह अटल रहे। आज दोनों सुविधाएं जनपदवासियों को मिल रही है। यही नहीं सांसद रहते हुए भी जनपद के विकास पर हमेशा ध्यान देते रहे।

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