पंजाब पीसीसी चीफ और अमृतसर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 33 वर्ष पुराने रोडरेज मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने से जुड़ी एक और अर्जी पर जवाब मांगा है। दरअसल अर्जी में मामले का दायरा बढ़ाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि जिस घटना में किसी की मौत हुई हो, उसमें सिर्फ मारपीट की धारा लगाना गलत है। कोर्ट ने सिद्धू से दो हफ्ते में इसको लेकर जवाब मांगा है। तब तक के लिए सुनवाई टाल दी गई है।
पीड़ित परिवार ने याचिका दाखिल कर रोज रेज केस में साधारण चोट नहीं बल्कि गंभीर अपराध के तहत सजा बढ़ाने की मांग की है। बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने साधारण चोट का मामला बताते हुए सिर्फ ये तय करने का फैसला किया था कि क्या सिद्धू को जेल की सजा सुनाई जाए या नहीं।
ये है पूरा मामला
पंजाब के पटियाला में 1988 में पार्किंग को लेकर हुए विवाद के दौरान गुरनाम सिंह नाम के शख्स की मौत हो गई थी। इसके बाद सिद्धू और उनके दोस्त कंवर सिंह संधू को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी माना और 3-3 साल की सजा दी थी।
लेकिन जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने संधू को पूरी तरह बरी कर दिया, जबकि सिद्धू को सिर्फ मारपीट का दोषी माना। यही नहीं इस दौरान कोर्ट ने ऊन पर 1 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था।
कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ गुरनाम सिंह की फैमिली ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया। परिवार ने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
इसके बाद 13 सितंबर 2018 को कोर्ट ने याचिका को विचार के लिए स्वीकार किया, लेकिन तब कोर्ट यह साफ कर दिया था कि वह सिर्फ सजा बढ़ाने की मांग पर विचार करेगा। इसका मतलब यह था कि सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या के आरोप में दोबारा सुनवाई नहीं हो।
क्या है नवजोत सिंह सिद्धू की दलील
अब इस मामले में सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें सिद्धू ने अपने खिलाफ पुनर्विचार याचिका को खारिज करने की मांग की। सिद्धू ने अनुरोध किया है कि उनको जेल की सजा न दी जाए।
सिद्धू ने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कोई वैध आधार नहीं होने की बात भी कही। । उनकी यह भी दलील है कि इस दौरान कोई हथियार बरामद नहीं हुआ, कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी और साथ ही घटना को तीस वर्ष से ज्यादा का वक्त बीत चुका है।