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Seema Pal
New Delhi Railway Station stampede : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना ने न केवल दिल्ली रेलवे स्टेशन बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। शनिवार रात करीब 10 बजे, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को पकड़ने के लिए श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई। ट्रेन की देरी और प्लेटफॉर्म बदलने के कारण यात्री अनियंत्रित होकर एक-दूसरे पर चढ़ने लगे, और स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए गिरे, और बहुत से लोग सीढ़ियों से गिरकर अपनी जान से हाथ धो बैठे।
अपनी ट्रेनों के इंतजार में रेलवे प्लेटफॉर्म पर यात्री घंटों संघर्ष करते रहें। दो ट्रेनें पहले से ही देरी से आ रही थी और फिर ट्रेनों के आने के प्लेटफॉर्म भी बदल गए। अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए हर कोई इधर-उधर भागने लगा। ट्रेन में चढ़ने की जद्दोजहद में कोई किसी को ढकेलता गया तो कोई किसी के ऊपर ही चढ़ता निकलता गया। कुछ यात्री प्लेटफॉर्म पर सो रहे थे, जो भगदड़ की भेंट चढ़ गए, ये तस्वीर नई रात 10 बजे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को पकड़ते समय दिखाई दी। एक-दूसरे को कुचलती हुई भीड़ देखकर ऐसा लगा कि महाकुंभ की भगदड़ का रिप्ले चल रहा हो। रेलवे स्टेशन पर हुई इस भगदड़ में अबतक 18 लोगों की जान चली गई है और अभी भी कई लोग जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। भगदड़ के बाद प्लेटफॉर्म की सीढ़ियों पर केवल यात्रियों के चप्पल-जूते बिखरे हुए दिखाई दिए। इस भयावह मंजर की तस्वीर जिसने भी देखी, वह बोल पड़ा- इस महाकुंभ ने कितनों की जान ले ली…
दिल्ली रेलवे भगदड़ में 18 लोगों की मौत
यह भगदड़ उस वक्त हुई, जब अचानक ट्रेनों के प्लेटफॉर्म बदल दिए गए थे। यात्री अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए दौड़े और प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर भारी भीड़ जमा हो गई। भगदड़ की स्थिति में लोग भागते हुए एक-दूसरे से भिड़ने लगे और प्लेटफॉर्म के अंदर घुसने की कोशिश करते हुए गिरने लगे। स्थिति इतनी विकट हो गई कि सीढ़ियों पर चप्पल-जूते बिखरे हुए थे और लोग अपनों को ढूंढते हुए स्टेशन और अस्पतालों के चक्कर काटने लगे। इस हादसे में अबतक 18 लोगों की मौत हुई है जबकि कई घायल हैं।
आखिर 5 मिनट के अंदर कैसे शुरू हुई भगदड़
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी उस समय मच गई, जब अचानक ट्रेनों की देरी के कारण उनके आगमन वाले प्लेटफॉर्म बदल दिए गए। प्लेटफॉर्म बदलने की सूचना मिलते ही प्रयागराज जाने वाले यात्री अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगे। यह भगदड़ महाकुंभ जैसी स्थिति में बदल गई थी। प्रयागराज जाने वाली ट्रेन की देरी के कारण प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13, 14, 15 और 16 पर भारी भीड़ जमा हो गई और लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ने लगे। प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर अधिकतर महाकुंभ जाने वाले यात्री खड़े थे, जब अचानक वहां से लोग भागते हुए प्लेटफॉर्म बदलने लगे। लोग चिल्ला रहे थे कि ट्रेन अब इस प्लेटफॉर्म पर नहीं, बल्कि दूसरे प्लेटफॉर्म पर आएगी। महज कुछ मिनटों में, लोग अपने-अपने स्थानों से दौड़ते हुए दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने लगे, जिससे भगदड़ मच गई। इस भगदड़ के दौरान कई लोग गिरते गए और कुछ यात्री सीढ़ियों से नीचे भी गिरने लगे।
कई यात्रियों की छूट गई ट्रेनें
कई यात्री ऐसे थे, जो इस भगदड़ में फंसे थे और उन्हें अपनी ट्रेन नहीं मिल पाई। इसके अलावा, कुछ यात्री ऐसे भी थे, जो सेना या अन्य जरूरी कार्यों के लिए स्टेशन पहुंचे थे, लेकिन भीड़ के कारण उनकी ट्रेन भी छूट गई। हादसे के बाद यात्रियों ने बताया कि स्टेशन पर केवल एक ही रास्ता था, जिससे लोग अंदर और बाहर जा रहे थे, जिससे भीड़ और भी बढ़ गई।
रेलवे ने किया पीड़ितों को मुआवजा देने का एलान
इस दर्दनाक हादसे में 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 14 महिलाएं थीं। मृतकों के परिवारों को रेलवे द्वारा 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये और मामूली घायलों को 1 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। हालांकि, यह मुआवजा किसी की भी जान वापस नहीं ला सकता, और यह सवाल उठता है कि रेलवे प्रशासन ने इस हादसे से पहले इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के लिए सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं किए थे।
रेलवे प्रशासन ने हुई ये बड़ी चूक
रेलवे प्रशासन पर इस घटना को लेकर लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं। प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को निकलने के लिए एक ही रास्ता दिया गया था, जो भारी भीड़ के दबाव को झेलने में सक्षम नहीं था। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान रेलवे को उचित सुरक्षा और व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस घटना के बाद रेलवे ने उच्च स्तरीय समिति गठित की है, जो मामले की जांच करेगी।