
भारत में जल-मार्गों के विकास और रखरखाव में लगी एक पुरानी कंपनी एक बार फिर चर्चा में है — लेकिन इस बार भी काम से ज्यादा सवालों को लेकर। धरती ड्रेजिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (DDIL), जिसे अब योगायतन समूह संचालित करता है, हाल ही में सरकारी भुगतान दावों और नियामक जांचों के चलते फिर से जांच के घेरे में आ गई है।
1993 में स्थापित, DDIL एक समय देश की प्रमुख ड्रेजिंग कंपनियों में मानी जाती थी। ड्रेजिंग — यानी नदियों, झीलों या समुद्रों के तल से गाद, रेत और मिट्टी को हटाना — एक ऐसा कार्य है जो न सिर्फ जलमार्गों की गहराई बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि बाढ़ नियंत्रण और निर्माण क्षेत्र के लिए भी अहम है।
बीते वर्षों में जब कंपनी वित्तीय संकटों से जूझ रही थी, तब मुंबई के योगायतन ग्रुप ने इसका अधिग्रहण किया था। प्रबंधन में बदलाव के बावजूद, विवाद कंपनी का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।
हाल ही में इनलैंड वॉटरवेज़ अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) ने गंगा नदी परियोजना से जुड़ी एक भुगतान प्रक्रिया को लेकर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है। IWAI के उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के अनुसार, ड्रेजिंग कार्य के लिए प्रस्तुत बिलों में ‘अनियमितता’ की आशंका पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
यह पहला मौका नहीं है जब DDIL पर सवाल उठे हैं। 2018–19 में भी IWAI ने कंपनी को कथित तौर पर जाली बैंक गारंटी जमा करने के चलते दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया था। उस समय भी यह मामला सुर्खियों में रहा था। कंपनी पर पहले से एक वित्तीय अनियमितता से जुड़ा मामला भी दर्ज है।
IWAI सूत्रों के अनुसार, ताजा शिकायतों के आधार पर नियमानुसार जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
कंपनी से इस बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए उसके आधिकारिक वेबसाइट www.dharti.in पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक प्रतिक्रिया अनुपलब्ध थी।