नई दिल्ली | सबरीमाला भारत के प्रमुख हिंदू मंदिरों में एक है| पूरी दुनिया से लाखों श्रद्धालु आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर परिसर में आते हैं| सबरीमाला मंदिर में दर्शन को लेकर कई मान्यताएं हैं| कुछ के मुताबिक महिलाओं के पीरियड्स होने को अशुभ माना जाता है तो कई मान्यताओं के मुताबिक भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए बहुत ही पवित्र और कठिन पूजा करनी होती है| पुरानी कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, भगवान अयप्पा अविवाहित हैं| वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं| उन्होंने तब तक अविवाहित रहने का फैसला किया है जब तक उनके पास कन्नी स्वामी (यानी वे भक्त जो पहली बार सबरीमाला आते हैं) आना बंद नहीं कर देते|”
महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की बात का पीरियड्स से कुछ भी लेना-देना नहीं है| अयप्पा की पौराणिक कथा धार्मिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे और इसी के प्रभाव से एक बच्चे का जन्म हुआ जिसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया| इस दौरान राजा राजशेखर ने उन्हें 12 सालों तक पाला| बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए अयप्पा ने राक्षसी महिषि का भी वध किया| विष्णु और शिव के बेटे हैं अयप्पा पुराणों के अनुसार अयप्पा विष्णु और शिव के पुत्र हैं| यह किस्सा उनके अंदर की शक्तियों के मिलन को दिखाता है न कि दोनों के शारीरिक मिलन को| देवता अयप्पा में दोनों ही देवताओं का अंश है, जिसकी वजह से भक्तों के बीच उनका महत्व और बढ़ जाता है|
चढ़नी होती हैं 18 पवित्र सीढ़ियां मंदिर में प्रवेश के लिए तीर्थयात्रियों को 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी होती हैं| मंदिर की वेबसाइट के मुताबिक, इन 18 सीढ़ियों को चढ़ने की प्रक्रिया इतनी पवित्र है कि कोई भी तीर्थयात्री 41 दिनों का कठिन व्रत रखे बिना ऐसा नहीं कर सकता| निभानी पड़ती हैं
रस्में श्रद्धालुओं को मंदिर जाने से पहले कुछ रस्में भी निभानी पड़ती हैं. सबरीमाला के तीर्थयात्री काले या नीले रंग के कपड़े पहनते हैं और जब तक यात्रा पूरी न हो जाए, उन्हें शेविंग की इजाजत भी नहीं होती| इस तीर्थयात्रा के दौरान वे अपने माथे पर चंदन का लेप भी लगाते हैं|
परंपरा के अनुसार माना जाता था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और जो महिलाएं रजस्वला होती हैं उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए| महिलाओं के हक में ऐतिहासिक फैसला गौरतलब है कि करीब 800 साल पुरानी इस प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए रजस्वला नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी| 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है| कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी|