केंद्र सरकार ने 14 अगस्त को दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदलकर प्रधानमंत्री मेमोरियल कर दिया। तीन दिन बाद गुरुवार को इस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा- नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं। राहुल के इस बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हम अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मान दे रहे हैं, चाहें वे किसी भी पार्टी के हों। कांग्रेस पार्टी इसे बेकार में मुद्दा बना रही है। मुझे नहीं पता कि इसमें समस्या क्यों है।
स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले नई दिल्ली के तीन मूर्ति परिसर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) कर दिया गया था। इसी साल 15 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर फैसला लिया गया था। 1929-30 में बना तीन मूर्ति भवन भारत में कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक निवास था। अगस्त 1948 में यह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक निवास बन गया।
कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव से पहले राहुल का लद्दाख दौरा
राहुल गांधी दो दिन के दौरे पर लद्दाख गए हैं। वे सुबह दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना हुए और दोपहर करीब 1 बजे यहां पहुंचे। लद्दाख में पार्टी कार्यकर्ताओं ने राहुल का स्वागत किया। इस दौरे पर राहुल पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे। सूत्रों के मुताबिक वे लद्दाख में बाइक ट्रिप भी करेंगे। लद्दाख और कारगिल के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राहुल पहली बार यहां पहुंचे हैं। कारगिल में अगले महीने हिल काउंसिल के चुनाव होने वाले हैं। राहुल का दौरा इस वजह से भी महत्वपूर्ण है। कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव के लिए कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है।
खड़गे ने कहा था- अपना इतिहास नहीं, इसलिए दूसरों का मिटाते हैं
केंद्र के इस फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था- जिनका अपना इतिहास नहीं है, वे दूसरों के इतिहास को मिटाने पर उतारू हैं। स्मारक का नाम बदलने का प्रयास आधुनिक भारत के निर्माता और लोकतंत्र के निर्भीक संरक्षक पंडित जवाहर लाल नेहरू के व्यक्तित्व को छोटा नहीं कर सकता। यह भाजपा-RSS की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये को ही दर्शाता है।
पिछले साल अप्रैल में प्रधानमंत्री संग्रहालय बनाया गया
इससे पहले 2016 में पीएम मोदी ने परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार किया था। कांग्रेस के विरोध के बावजूद, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी परिसर में प्रधानमंत्री संग्रहालय बनाया गया। 21 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। तब भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था।
पंडित नेहरू का आधिकारिक निवास रहा यह भवन
एडविन लुटियंस के शाही राजधानी के हिस्से के रूप में 1929-30 में बना तीन मूर्ति भवन भारत में कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक निवास था। अगस्त 1948 में यह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू का आधिकारिक निवास बन गया। 27 मई 1964 को नेहरू का निधन हो गया। पंडित नेहरू 16 साल तक यहां रहे थे।
1964 में नेहरू स्मारक संग्रहालय बनाया गया था
नेहरू के निधन के बाद तत्कालीन सरकार ने फैसला किया कि तीन मूर्ति भवन नेहरू को समर्पित किया जाना चाहिए। तब की सरकार ने इसमें एक संग्रहालय और एक पुस्तकालय बनाने का प्रस्ताव रखा। 14 नवंबर, 1964 को नेहरू की 75वीं जयंती पर तत्कालीन राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने तीन मूर्ति भवन राष्ट्र को समर्पित किया और नेहरू स्मारक संग्रहालय का उद्घाटन किया। इसके दो साल बाद संस्था के प्रबंधन के लिए NMML सोसाइटी की स्थापना की गई और तब से यही बनी हुई थी।
सोसाइटी के अध्यक्ष PM मोदी हैं
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मोदी हैं। इसके 29 सदस्यों में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर शामिल हैं।
कांग्रेस बोली- नेहरू की विरासत को मिटाने की कोशिश कर रहे मोदी
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री म्यूजियम करने पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई थी। पार्टी नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- इतिहास बनाया और रचा जाता है। प्रधानमंत्री ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए वे नेहरू की विरासत को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। PTI से बातचीत में उन्होंने कहा- पंडित नेहरू ने आधुनिक भारत की नींव रखी। उन्होंने आईआईएम, एम्स, आईआईटी, इसरो और दूसरे संस्थान बनाए और इस देश में लोकतंत्र को जिंदा रखा। प्रधानमंत्री मोदी को इतिहास में बहुत निगेटिव रूप में याद किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम व लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदल दिया। इसका नया नाम प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी (PMMS) कर दिया है। केंद्र सरकार ने नाम बदलने का ऐलान 16 जून को किया था। मंगलवार यानी 15 अगस्त से अब इसे लागू कर दिया गया। साल 1911 की बात है। अंग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की शीतकालीन राजधानी कलकत्ता को दिल्ली ट्रांसफर करने का फैसला किया। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एडविन लुटियंस के शाही राजधानी बसाने का दौर तेज हुआ। इसी के तहत साल 1930 में ‘फ्लैग स्टाफ हाउस’ बनाया गया।
यह ब्रिटिश इंडिया सेना के कमांडर इन चीफ का शीतकालीन हेडक्वार्टर और आधिकारिक निवास था। 1964 में इंदिरा गांधी ने उस वक्त के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को एक पत्र लिखकर इस इमारत को नेहरू स्मारक बनाने के लिए कहा था, जिसके बाद शास्त्री ने तीन मूर्ति भवन को नेहरू म्यूजियम बना दिया था।