
हत्याकांड मेंं सात लोगों के खिलाफ केस लिखाया गया उन्हें हिरासत में लिया गया। क्राइम ब्रांच और एसटीएफ समेत कई पुलिस टीम जांच में जुटी मगर साल भर गजरने केे बाद भी दरिंदों के बारे में कुछ भी पता नहीं लगाया जा सका है।
प्रयागराज। ठीक साल भर पहले वह चार जनवरी की रात थी। सोरांव के यूसुफपुुुर गांंव में घर केे भीतर सो रहे विजय शंकर तिवारी समेत पांच लोगों को बेहद बेरहमी से मार डाला गया था। हत्याकांड मेंं सात लोगों के खिलाफ केस लिखाया गया, उन्हें हिरासत में लिया गया। क्राइम ब्रांच और एसटीएफ समेत कई पुलिस टीम जांच में जुटी मगर साल भर गजरने केे बाद भी दरिंदों के बारे में कुछ भी पता नहीं लगाया जा सका। इससे परिवार के लोगोंं के साथ ही रिश्तेदार भी बेहद दुखी और निराश हैं। वेे चाहते हैं कि कातिल बेेेेनकाब हों और मृतकों को न्याय मिल सकें। इसके लिए वह बार-बार अधिकारियों से मिलकर फरियाद भी करते हैं मगर होता कुछ नहीं।
आज भी घटना को याद कर सिहर उठते हैं पड़ोसी
यूसुफपुर गांव में रहने वाले साठ साल के विजय शंकर तिवारी का मकान कोखराज-हंडिया फोरलेन बाइपास हाइवे से कुछ ही दूरी पर है। कुछ ही समय पहले वह तीस वर्षीय बेटे सोनू तिवारी के साथ गांव लौटकर आ गए थे। गांव के मकान में वह बेटे सोनू, उसकी पत्नी 28 साल की कामिनी उर्फ सोनू और दो बच्चों कान्हा (7) तथा कुंंज (3) के साथ रह रहे थेेे। उनके पुत्र सोनू ने जीवन यापन के लिए कुछ ही माह पहले एक ऑटो खरीद लिया था। वह सोरांव से सिकंदरा के बीच टेंपो चलाकर गुजारा करने लगा था तभी यह खौफनाक घटना हो गई।
रविवार की वह मनहूस सुबह
शनिवार चार जनवरी की रात विजयशंकर तिवारी और उनके बेटे-बहू समेत परिवार के सभी पांच लोग भोजन के बाद गहरी नींद में सोए थे। अगली सुबह देर तक घर से कोई निकला नहीं तो पड़ोस में रहने वाले परिवार की महिला ने जाकर दरवाजा खटखटाया। मगर दरवाजा खुला मिला। इसके बाद अंंदर का नजारा देख उसने शोर मचाया तो चीख-पुकार मची। पूरा गांव वहां जुट गया। अंदर दो कमरों में विजय शंकर, उनके बेटे-बहू तथा दो मासूम बच्चों के रक्तरंजित शव पड़े थे। उनकी हत्या लोढ़ा, कुल्हाड़ी, सिल बट्टा, चाकू से मारकर की गई थी। मौके पर आला अधिकारी जुटे। एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और पुलिस ने आकर छानबीन शुरू की।
गुजर गया साल मगर बना है राज
दिन, हफ्ते और महीने गुजरते हुए चार जनवरी की उस रात को अब एक साल गुजर चुके हैं। इस परिवार को किसने खत्म कर दिया, कोई नहीं जानता। एसटीएफ के अलावा तहकीकात के लिए पांच टीम गठित की गई थी लेकिन कोई भी टीम कुछ भी पता नहीं कर सकी। सोरांव थाना प्रभारी आशुतोष तिवारी का कहना है कि अभी तक जांंच जारी है। कातिलों का कोई सुराग नहीं मिल सका है। कोशिश की जा रही है कि हत्यारे पकड़े जाएं। मारी गई सोनी तिवारी का मायका प्रतापगढ़ में है। भाई कार्तिकेय तिवारी से इस दुखद घटना पर बात की गई तो वह बेेेेहद निराश और दुखी थे। उन्होंने कहा कि उनकी बहन-बहनोई और बच्चों को क्रूरता से मार डाला गया और आज तक हत्यारे पकड़े नहीं गए। यह तो सरासर पुलिस की नाकामी है। हमें जल्द से जल्द इंसाफ चाहिए।