कैंटबोर्ड का स्थानीय निकाय में विलय का किया विरोध

रक्षामंत्री को छावनी परिषद कर्मचारी यूनियन लिखेगी पत्र

भास्कर समाचार सेवा
मेरठ। ऑल इंडिया ट्रेन बोर्ड एम्पलाइज फेडरेशन तथा छावनी परिषद कर्मचारी यूनियन, अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस की ओर से मंगलवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। छावनी परिषद का स्थानीय निकाय में विलय के संबंध में विरोध दर्ज किया गया। निर्णय लिया गया कि इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पत्र लिखा जाएगा।

ऑल इंडिया कैंट बोर्ड एम्पलाइज फेडरेशन के संयुक्त सचिव विक्रांत शर्मा ने कहा, भारत सरकार सभी छावनी परिषदों को स्थानीय निकाय में विलय करने जा रही है। इसके लिए ऑल इंडिया कैंट बोर्ड एम्पलाइज फेडरेशन को न विश्वास में लिया गया एवं ना ही किसी प्रकार की चर्चा की गई। इसके अलावा, कर्मचारियों के हित धारकों से परामर्श किए बिना ही सेवा शर्तों में बदलाव एवं विलय की प्रक्रिया जारी है, जो न्यायिक रूप से घोर आपत्तिजनक है। लंबे समय से फेडरेशन यूनियन बैंक कर्मचारियों की छावनी परिषद के केंद्रीय करण की मांग लंबित है। एक उधोग होने के नाते औधोगिक विवाद अधिनियम छावनी परिषद पर लागू है। अगर छावनी परिषद का विलय स्थानीय निकाय में कर दिया जाता है तो छावनी परिषद में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों में बदलाव हो जाएगा तथा कर्मचारियों की वरिष्ठता, वेतन संरक्षण, पदोन्नति, अवकाश का नवीकरण व पेंशन आदि प्रभावित होगी। बैठक में विनोद बेचैन, नवीन पंथ, राजू पेंटर आदि रहें।

विलय का कोई विकल्प नहीं दिया
बताया, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति, रक्षा मंत्रालय, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय में विलय का कोई विकल्प भी नहीं दिया गया। यह भी उन्हें अवगत नहीं कराया गया कि केंद्र, राज्य सरकार अथवा स्थानीय निकाय के कर्मचारी के रूप में माना जाएगा। यहां यह भी अवगत कराना है कि मेरठ, आगरा, पुणे, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, रूड़की, अंबाला, जबलपुर, सिकंदराबाद आदि छावनी परिषद 500 से 1000 करोड़ रुपए वार्षिक करों के रूप में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को प्राप्त होती है तथा बदले में 20 से 30 करोड़ वार्षिक अनुदान के रूप में छावनी परिषद को प्राप्त होते हैं।

2015 में हुए थे कैंटबोर्ड के चुनाव
छावनी परिषद के अंतिम चुनाव वर्ष 2015 में हुए थे। अब छावनी परिषद बिना निर्वाचित सदस्यों के संचालित किए जा रहे हैं। जन सुविधाओं की आवश्यकता व गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का निर्वाचन अति आवश्यक है।

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