
*जिला उद्यान विभाग गाजीपुर के द्वारा बिदेश में सब्जियों के निर्यात में जनपद के प्रथम किसान के रूप में पंकज राय को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया*
गाजीपुर-पूरे देश में पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को सम्मान देना था।इसी के तहत बुधवार को गाजीपुर जनपद के पी जी कालेज कृषि विज्ञान केन्द्र पर कृषि मेले का आयोजन किया गया।इस अवसर पर पूरे जनपद के किसानों को बुलाया गया था।इस कार्यक्रम में जनपद के प्रगतिशील किसानों को अंगवस्त्रम. प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।खास तौर से इस कार्यक्रम में जनपद के उन किसानों को आमंत्रित किया गया था जो परंपरागत खेती से हट कर कुछ अलग ढंग से खेती कर गाजीपुर जनपद का नाम विदेशों में भी अपनी फसल बेच कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।किसान दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में किसान सम्मान एवं किसान मेले का आयोजन किया गया।किसानी के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया।सम्मान समारोह में मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता के द्वारा युवा प्रगतिशील किसान पंकज राय को बिदेश में सब्जियों के निर्यात मे जनपद के प्रथम किसान के रूप में सम्मानित किया गया।युवा किसान पंकज राय गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील के करीमुद्दीनपुर निवासी है।
पंकज राय पारम्परिक खेती के बजाय आर्गेनिक विधि से लौकी खीरा.हरी मिर्च.टमाटर.लाल भिंडी.शिमला मिर्च.हरा लाल.स्ट्राबेरी आदी की खेती कर रहे हैं।वर्तमान में पंकज राय के द्वारा कश्मीर की वादियों में पैदा होने वाले केसर की खेती को पहली बार पूर्वांचल की धरती पर उगाने का जोखिम उठाया गया है।मौजूदा समय में पंकज राय का यह प्रयास सफल होता दिखाई दे रहा है।पंकज राय के पाली हाउस में केशर खिलने के लिए तैयार हो रहे हैं।बहुत जल्द ही यहां की फिजाओं में भी केशर की गन्ध घुल जायेगी।किसान पंकज राय के फार्म हाउस पर उत्पन्न आर्गेनिक सब्जियों ने भारत के बाहर विदेशों में भी धूम मचा दी है।जनपद के सर्वश्रेष्ठ किसान के रूप में सम्मानित पंकज राय ने बताया की अगर हम परम्परागत खेती ही करते रहेंगे तो वह मुकाम हासिल नहीं कर सकेंगे जो हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है।
इसके लिए हमें थोडा लीक से हट कर काम करना होगा।पंकज राय ने कहा की परम्परागत खेती में अगर हम 10000 लगाते हैं तो 15000 मिलने की संभावना होती है लेकिन अगर इस तरह की खेती जो आज हम मौजूदा समय में कर रहे हैं।उसमें एक लाख की लागत लगाने के बाद पांच गुना ज्यादा तक मुनाफा होता है।इसके लिए उन्हें बाजार नहीं खोजना पडता है बल्कि उनकी उपज या तो उनके खेत पर ही बिक जाती है या फिर एपीडा के माध्यम से सात समंदर पार जाकर भी अपनी पहचान बनाती है।पंकज राय ने बताया की अब तक उन्होंने मिर्च.लौकी.खीरा सहित तमाम पैदावार को एपीडा के माध्यम से विश्व के अनेक देशों में निर्यात किया है।
इसके फलस्वरूप उनको रुपया के बजाय डालर के रूप में धन प्राप्त होता है वह भी सीधे उनके एकाउंट में।पंकज राय ने बताया की आज का किसान अगर परम्परागत खेती को छोडकर आधूनिक पद्धति को अपना कर खेती करेगा तो निश्चित रूप से वह आत्मनिर्भर भारत की तरफ कदम बढा लेगा।आधूनिक खेती के दौरान भी किसान अपनी परम्परागत खेती कर के ना सिर्फ अपने लिए बल्कि औरो के लिए भी धान गेंहू एवं अन्य फसलें उगा सकता है।
कार्यक्रम में जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह.जिला उद्यान अधिकारी डाक्टर शैलेन्द्र दूबे.सी बी ओ डाक्टर सुनील कुमार सिंह.समेत ढेर सारे लोग उपस्थित रहे।