इलेक्ट्रॉन्स स्टडी को लेकर पियरे ऑगस्टिनी, फेरेंस क्राउसज और हुलियर को मिला नोबेल पुरस्कार

फिजिक्स में 2023 का नोबेल प्राइज पियरे ऑगस्टिनी, फेरेंस क्राउसज और एन हुलियर को मिला है। कमिटी ने इलेक्ट्रॉन्स पर स्टडी के लिए इन्हें ये खिताब दिया है। यह अवॉर्ड उन प्रायोगिक तरीकों के लिए दिया गया जिसमें मैटर में इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता की स्टडी के लिए प्रकाश के एटोसेकंड पल्स उत्पन्न किए गए।

एनी हुलियर फिजिक्स के फील्ड में नोबेल जीतने वाली पांचवीं महिला बनी है। अब तक फिजिक्स के क्षेत्र में 119 लोगों को इस खिताबा से नवाजा गया है। इससे पहले सोमवार यानी, 2 अक्टूबर को मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल प्राइज कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला है। प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन एक सप्ताह तक चलेगा।

इसके बाद केमिस्ट्री के विजेताओं की घोषणा 4 अक्टूबर को की जाएगी। साहित्य यानी लिटरेचर में प्राइज 5 अक्टूबर को दिया जाएगा। नोबेल पीस प्राइज की घोषणा 6 अक्टूबर को होगी। इसके बाद इकोनॉमिक साइंस में विनर्स की घोषणा 9 अक्टूबर को की जाएगी।

अब फिजिक्स क्षेत्र में नोबेल प्राइज के बारे में जानते हैं

27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत और वसीयतनामा पर हस्ताक्षर किए। इससे उन्होंने अपने वसीयत का सबसे बड़ा हिस्सा पुरस्कारों की एक सीरीज, नोबेल प्राइज को दे दिया। नोबेल प्राइज फिजियोलॉजी, मेडिसिन, फिजिक्स, केमिस्ट्री, लिटरेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस के क्षेत्र में दिया जाता है।

अल्फ्रेड के वसीयतनामा के मुताबिक, फिजिक्स नोबेल प्राइज उस व्यक्ति को दिया जाए, जिसने फिजिक्स क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण खोज या आविष्कार किया होगा। 1921 से 2022 तक फिजिक्स में कुल 116 नोबेल प्राइज दिए गए हैं। 1916, 1931, 1934, 1940-41 और 1942 में फिजिक्स नोबेल प्राइज नहीं दिए गए थे। इसका निर्णय नोबेल फाउंडेशन ने लिया था। नोबेल फाउंडेशन नियम के मुताबिक, यदि कोई खोज या अविष्कार तय मापदंड के पैमाने पर खरा नहीं उतरता, तो पुरस्कार राशि अगले वर्ष तक के लिए आरक्षित रखी जाती है । वर्ल्ड वॉर वन और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कम नोबेल पुरस्कार दिए गए थे।

भारत के सी.वी रमन को मिला है फिजिक्स नोबेल प्राइज

भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1930 में फिजिक्स नोबेल पुरस्कार मिला था। 1928 में सीवी रमन ने साबित किया कि जब किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से प्रकाश की किरण गुजरती है, तो उसकी वेवलेंथ (तरंग दैर्ध्य) में बदलाव दिखता है। इस आविष्कार को उन्होंने अपना ही नाम दिया, जिसे रमन इफेक्ट कहा जाता है। अपने इसी आविष्कार के लिए उन्हें फिजिक्स नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को दक्षिण भारत के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। रमन ने 1907 में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल की नौकरी की, लेकिन हमेशा से विज्ञान ही उनका पहला प्यार रहा। वे किसी न किसी तरह लैबोरेटरी में पहुंचकर अपनी रिसर्च करते रहते थे। 1917 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर हो गए। यहीं पर 28 फरवरी 1928 को उन्होंने केएस कृष्णन समेत अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर रमन इफेक्ट की खोज की। यही कारण है कि इस दिन को भारत में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। रमन को विज्ञान के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए 1954 में भारत रत्न से नवाजा गया था।

रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है। जब चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे भी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का ही कमाल था। फॉरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी उपयोगी साबित हो रहा है। अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी।

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