दैनिक भास्कर ब्यूरो
पीलीभीत। निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के फैसले पर प्रदेश भर में प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं और ओबीसी वर्ग का आरक्षण खत्म करने का फैसला बीजेपी सरकार को नुकसान पहुंचाता दिखाई दे रहा है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया है, लेकिन इसके बावजूद आरक्षण पर आए फैसले ने पिछड़े वर्ग की जातियों की राजनीति कर रहे नेताओं को एक मुद्दा दे दिया है।
कोर्ट के फैसले पर ओबीसी वर्ग में फैल रहा रोष
भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति, महिला एवं ओबीसी वर्ग के लोगों को अधिकार के रूप में मिले आरक्षण को निकाय चुनाव में समाप्त करने वाले फैसले पर एक बहस छिड़ चुकी है। कोर्ट के फैसले पर पीलीभीत के लोगों ने भी अलग-अलग बात कही और ओबीसी आरक्षण को विशेषाधिकार बताते हुए खत्म ना करने पर खुलकर बात की। इसके साथ भारतीय जनता पार्टी की नियति पर सवाल खडे़ कर दिये हैं।
मैं पहले भी कहता आया हूं कि यह संविधान विरोधी सरकार है, आज कोर्ट का फैसला मेरी इस बात पर मोहर लगा देता है। ओबीसी आरक्षण को खत्म करना सुनियोजित साजिश है और आने वाले समय में यही हाल दलितों का भी होगा।
संस्थाएं स्वतंत्र नहीं है, जो काम सरकार नहीं कर पाती वह दूसरे ढंग से किया जाता है और पिछड़ों के हकों को छीना जा रहा है। आने वाले समय में दलितों के अधिकार भी समाप्त कर दिए जाएंगे। इतना ही कहना चाहेंगे कि सबका नंबर आएगा, बस इंतजार कीजिए अपनी बारी का।
आरक्षण पिछड़े वर्ग का अधिकार है और भारतीय संविधान में इसको लेकर व्यवस्था दी गई। आरक्षण खत्म करने से बड़ा दुर्भाग्य हो नहीं सकता है, बिना ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव होना ठीक नहीं।