
- बाबा इक्कोत्तरनाथ के मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर पड़े संकट के बादल
- श्रद्धालुओं का दर्द: इक्कोत्तरनाथ मंदिर तक पहुंचने में हो रही परेशानी, प्रशासन का ध्यान कब ?
पूरनपुर,पीलीभीत। पीलीभीत जिले के बलरामपुर चौकी क्षेत्र में स्थित बाबा इक्कोत्तरनाथ का मंदिर, जो देवताओं के राजा इंद्र द्वारा स्थापित और आस्था का प्रमुख केंद्र है, आज भी श्रद्धालुओं की आस्था को मजबूत बनाए हुए है। यहां स्थापित चमत्कारी शिवलिंग, जो दिन में तीन बार रंग बदलती है, श्रद्धालुओं के बीच अटूट विश्वास का प्रतीक है। इसके अलावा, यहां की एक पुरानी परंपरा है, जहां मनोकामनाएं पूरी होने पर श्रद्धालु नल लगवाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आस्था के केंद्र तक पहुंचने का रास्ता कितना खस्ताहाल है?
चमत्कारी शिवलिंग:
बाबा इक्कोत्तरनाथ के मंदिर का शिवलिंग, जो दिन में तीन बार रंग बदलता है, यह सिर्फ आस्था का ही नहीं, बल्कि एक चमत्कारी घटना का भी प्रतीक है।
मनोकामना पूरी होने पर “नल” लगवाना:
श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद इस मंदिर में नल लगवाने की परंपरा निभाते हैं, जो मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महिमा को दर्शाता है।
महाशिवरात्रि और मेला:
हर साल महाशिवरात्रि, अमावस्या और पूर्णमासी पर यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
खस्ताहाल सड़क:
मंदिर तक पहुंचने का रास्ता इतना खराब है कि बरसात के दिनों में श्रद्धालु कीचड़ में फंसकर मंदिर तक पहुंचने की जद्दोजहद करते हैं। यह रास्ता कच्चा होने के कारण श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय नेताओं की चुप्पी:
स्थानीय नेताओं और प्रशासन की चुप्पी इस बात का संकेत है कि इस पवित्र स्थल के महत्व को लेकर कोई गंभीर पहल नहीं की जा रही है।
स्थानीय लोग क्यों नाराज हैं?
मंदिर तक पहुंचने का रास्ता इतनी खराब हालत में है कि स्थानीय लोग अब खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। आशीष कुमार दीक्षित और रविंद्र दीक्षित जैसे स्थानीय लोग कहते हैं, “यह मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। लेकिन मंदिर तक पहुंचने का रास्ता इतना दुर्गम हो चुका है कि श्रद्धालु पूजा करने तक नहीं पहुंच पा रहे। यहां लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद नल लगवाते हैं, लेकिन क्या इस धार्मिक स्थल तक पहुंचने के लिए हमें इतनी मुश्किलें सहनी चाहिए?”
इतिहास और महिमा:

यह मंदिर केवल श्रद्धा का ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा इंद्र ने गौतम ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है, लेकिन इसके रास्ते की हालत देख कर लगता है कि प्रशासन ने इसे एक लावारिस स्थल बना दिया है।
अब प्रशासन से क्या उम्मीदें हैं?
यह सवाल अब हर श्रद्धालु के मन में उठता है कि क्या प्रशासन इस पवित्र स्थल तक पहुंचने का रास्ता पक्का करने के लिए कोई कदम उठाएगा या फिर श्रद्धालुओं को इसी खस्ता हाल में छोड़ दिया जाएगा? क्या स्थानीय नेताओं के लिए इस ऐतिहासिक स्थल की हालत पर विचार करने का समय आ चुका है?
पीलीभीत के सांसद जितिन प्रसाद को भेजा पत्र:
बाबा इक्कोत्तरनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए रास्ते की स्थिति बहुत खराब है, जिससे श्रद्धालुओं को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग कच्चा और खस्ताहाल होने के कारण विशेष रूप से बरसात के मौसम में श्रद्धालुओं को कीचड़ और दलदल से होकर गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही मंदिर के जीर्णोद्धार की भी आवश्यकता है, ताकि इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व और बढ़े।
स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने अब इस मुद्दे को लेकर जितिन प्रसाद, जो कि पीलीभीत के सांसद और भारत सरकार में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री हैं, को पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने मंदिर तक पक्की सड़क बनाने और मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी आस्था की अभिव्यक्ति कर सकें और इस धार्मिक स्थल का सही तरीके से संरक्षण हो सके।
केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं सांसद जितिन प्रसाद से शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद जताई गई है, ताकि बाबा इक्कोत्तरनाथ मंदिर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके और इस ऐतिहासिक स्थल की महिमा को नया जीवन मिल सके।