पीलीभीत। पीडब्ल्यूडी विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी है और इसके चलते ही अधिशासी अभियंता पर कार्रवाई के बाद भी अधिकारियों की कार्यशैली में जरा भी बदलाव नहीं हुआ, कुछ दिन पूर्व ही ऑनलाइन टेंडर की जमानत राशि जमा करने में घपलेबाजी करने पर कई ठेकेदारों की शिकायतें हुई थी। उसके बाद कर्मचारियों से पटल छीने गए और अधिकारियों पर गाज गिरी। लेकिन नए टेंडर में एक बार फिर उन्हीं फर्मों को ठेके दिए गए हैं।
लोक निर्माण विभाग में 7 दिसंबर को कनिष्ठ सहायक रूपेश कुमार से ई टेंडर का पटल छीनकर रूपेश कुमार शुक्ला कनिष्ठ सहायक को आवंटित किया गया था। इसके साथ ही विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की परतें खुलना शुरू हुई और ई टेंडर में धरोहर धनराशि जमा करने में लाखों रुपए का खेल सामने आया। विभाग में वित्तीय भ्रष्टाचार को दबाने का पूरा प्रयास किया गया और अधिकारियों ने कार्रवाई करने की बजाय ठेकेदारों की फॉर्म को डिवार घोषित कराया। नियमानुसार जमानत राशि में गड़बड़ी के बाद फर्मों को ब्लैकलिस्टेड करना चाहिए था, लेकिन चाहते ठेकेदारों पर अधिकारियों की मेहरबानी के चलते ही फर्मों को मात्र 6 माह के लिए डिवार किया गया।
वहीं ई टेंडरिंग में जमानत राशि जमा करने के मामले में हुए भ्रष्टाचार की दुर्गंध शासन तक पहुंचने के बाद लोक निर्माण विभाग पीलीभीत में कार्यवाही शुरू हो गई थी। शासन से 31 जनवरी 2024 को राजीव गंगवार सहायक अभियंता सिविल को जिले से हटकर लखनऊ मुख्यालय भेजा गया। इसी कड़ी में अधिशासी अभियंता सिविल उदय नारायण को भी मुख्यालय से संबद्ध कर लिया गया। वित्तीय अनियमिताओं में कार्रवाई होने के बाद भी विभागीय अधिकारी कोई सबक नहीं ले रहे हैं और आरोपों से घिरी फार्मों पर अधिकारी मेहरबान बने हुए हैं। इतना ही नहीं दो फार्मों को नए टेंडर में ठेके भी दिए गए हैं।
इंसेट बयान -शशांक भार्गव इंचार्ज अधिशासी अभियंता लोनिवि।
पुराने मामलों में जांच चल रही है वर्तमान में जो टेंडर डाले गए हैं उनमें फार्म ने नियम शर्ते पूरी की है।