पीलीभीत : ग्राम पंचायत बमरौली में पूर्व प्रधान व तत्कालीन सचिव से होगी 82 लाख की रिकवरी

पीलीभीत।ग्राम पंचायत बमरौली के पूर्व प्रधान को विकास कार्यों पर व्यय की गई धनराशि का ऑडिट न कराना अब खासा महंगा पड़ गया है। मुख्य लेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर डीएम ने पूर्व प्रधान एवं तत्कालीन सचिव से करीब 82 लाख रूपयों की रिकवरी का आदेश जारी किया है। डीएम के इस आदेश से संबंधित लोगों में हड़कंप मच गया है।

बिलसंडा विकास खंड की ग्राम पंचायत बमरौली में वर्ष 2010 से 2015 तक शिवसरन वर्मा प्रधान पद पर रहे। उनके कार्यकाल की इस अवधि में तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ओपी माथुर की तैनाती रही। हालांकि सचिव ओपी माथुर मौजूदा वक्त में सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। प्रधान शिवसरन वर्मा के कार्यकाल में शासन से जो भी धनराशि अवमुक्त हुई, उसमें से विकास कार्यों पर कितनी व्यय की गई इसका लेखा-जोखा उसे समय ऑडिटर को उपलब्ध ही नहीं कराया गया।

जिसकी वजह से व्यय की गई धनराशि का ऑडिट ही नहीं हुआ। यही वजह है कि मुख्य लेखा परीक्षक अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत राज लखनऊ की रिपोर्ट पर प्रशासन ने पहले जांच कराई, लेकिन जांच के दौरान भी कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए। अभिलेख उपलब्ध न कराने पर शासन से मिली धनराशि का गबन मानते हुए जाते-जाते डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने प्रधान और सचिव से धनराशि रिकवरी करने का फरमान जारी कर दिया।

डीएम ने पूर्व प्रधान शिवसरन वर्मा से 4096950 और तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ओपी माथुर से 4083447 रूपयों की रिकवरी करने का एडीएम को आदेश दिया है। इसके अलावा मनरेगा के कार्यों में भी बरती गई धांधली को लेकर तत्कालीन तकनीकी सहायक से 4794 96 रूपयों की रिकवरी का आदेश जारी किया है।

डीएमके इस आदेश से संबंधित लोगों में खलबली मच गई है। विकास कार्यों के लिए शासन से मिली धनराशि को भले ही समुचित तरीके से व्यय किया गया हो, लेकिन जब तक व्यय की गई धनराशि का ऑडिट नहीं कराया जाता, तब तक उसे गबन की श्रेणी में माना जाता है। शायद यही वजह है कि पूर्व प्रधान और सचिव को अपने कार्यकाल के दौरान व्यय की गई धनराशि का ऑडिट न कराना अब खासा महंगा पड़ रहा है। उधर पूर्व प्रधान शिवशरनवर्मा का कहना है कि उनके कार्यकाल में किसी भी तरह की कोई धांधली नहीं बढ़ती गई है।ऑडिट कराने की जिम्मेदारी सचिव की होती है, लेकिन उनके द्वारा ऑडिट नहीं कराया गया तो उसमें उनका क्या दोष है। हालांकि बिलसंडा में कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहाँ पर रिकवरी निकली हैं।

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