पीलीभीत : 76.63 लाख रुपए से गाँव का होगा कायाकल्प

पीलीभीत। छोटी काशी के रूप में विख्यात गांव लिलहर के शिव सरोवर का गुरुवार को सौंदर्य करण का शुभारंभ विधायक ने किया है। पर्यटन विभाग से सुंदरीकरण कराए जाने से पूर्व विधिविधान से हवन पूजन किया गया। करीब 7 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस सरोवर के कायाकल्प के लिए भाजपा के पूर्व विधायक रामसरन वर्मा का प्रयास सुंदरीकरण कराए जाने की दिशा में दी गई हरी झंडी का ही नतीजा है कि आज वर्षों बाद शिव सरोवर का कायाकल्प होना शुरू हो गया है।

पर्यटन विभाग के अफसर विधायक के साथ गांव पहुंचे और सरोवर के मध्य में विधि-विधान से हवन पूजन कराने के साथ ही कार्य का शुभारंभ कराया।पर्यटन विभाग के अफसरों ने बताया है कि 76.63 लाख रुपयों की लागत से सरोवर के पास सीढ़िया व शौचालय एवं अन्य सुंदरीकरण कराया जाएगा। सरोवर के चारों साइड में पक्की की सीढि़यां बनाई जाएंगी। सुंदरीकरण कराए जाने की दिशा में जो शुभारंभ हुआ उससे गांव वाले काफी खुश दिखाई दिए। इस मौके पर पर्यटन विभाग के अफसरों के अलावा भाजपा नेता सुमित गुप्ता ,ग्राम प्रधान सत्यपाल वर्मा, परदेशी बाबू समेत तमाम ग्रामीण भी मौजूद रहे।

इंसेट बयान

शिव सरोवर से जुड़ी है श्रद्धालुओं की आस्था

बिलसंडा नगर से महज चार किमी की दूर गांव लिलहर जोकि छोटी काशी के रूप में प्रख्यात है। यहां स्थित नीलकंठ बाबा देवस्थल से लाखों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। श्रावण मास में श्रद्धालु कछला से गंगाजल भरकर यहां कांवर चढ़ाते हैं। मान्यता है कि शिव सरोवर में पवित्र स्नान करने मात्र से चर्मरोग दूर हो जाता है और मन से मांगी गईं मुरादें भी पूरी होती हैं। मान्यता है कि राजा मोरध्वज के भाई नीलध्वज द्वारा इस विशाल शिव सरोवर की खोदाई कराई गई थी

और भगवान नीलकंठ बाबा की स्थापना भी उन्होंने ही कराई थी। उनके समय की तमाम किदवंतियां आज भी जुड़ी हुई हैं। बताते हैं कि नीलध्वज कोढ़ रोग से पीड़ित थे और वह अपनी सेना के साथ इधर से गुजरते वक्त रास्ते में शौच गए और हाथ धोने के लिए उन्होंने यहां स्थित तालाब के पानी में जैसे ही हाथ डाले कि उनका रोग दूर हो गया। उसके बाद उन्होंने यहां काफी दिन रह कर नित्य स्नान किया और भगवान नीलकंठ की स्थापना कर पूजा पाठ किया।

इतना ही नहीं विशाल सरोवर भी खुदवाया। लेकिन तब से आज तक सौन्दर्यीकरण कराए जाने की दिशा में कोई प्रयास हुआ। जबकि प्रत्येक माह में अमावस के दिन यहां विशाल मेला लगता है। लाखों की तादात में श्रद्धालु यहां आकर पवित्र सरोवर में स्नान करते हैं और भगवान नीलकंठ बाबा के मंदिर में प्रसाद चढ़ाकर मनौतियां मांगते हैं। श्रावण मास में श्रद्धालु कछला से गंगाजल भरकर यहां कांवर भी चढ़ते हैं। गुरू पूर्णिमा पर भी यहां भारी तादात में श्रद्धालुओं का जमाबड़ा होता है।

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