लगभग 10 माह पूर्व संभल के कल्किधाम शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के बाद संभल देशभर में सुर्खियों में बना था। वहीं अब हरिहर नाथ मंदिर और जामा मस्जिद विवाद के बीच हुई हिंसा और भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण द्वारा संभल में विभिन्न तीर्थों व कूपों आदि का सर्वे व खुदाई कार्य के बाद संभल एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि कभी ‘संभल तीर्थनगरी’ हुआ करता था जो इतिहास के पन्नों में गुम हो गया।
‘संभल तीर्थनगरी’ में होते थे पिंडदान
मुरादाबाद निवासी वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार डा. अजय अनुपम बताते हैं कि धार्मिक और पौराणिक रूप से भी संभल बहुत बड़ी तीर्थनगरी थी। मान्यता तो यहां तक थी कि संभल में एक बार पिंडदान करने के बाद गया में पिंडदान की आवश्यकता नहीं होती थी। डा. अजय अनुपम ने कहा कि बिजनौर जनपद और संभल जनपद मुरादाबाद जनपद का हिस्सा हुआ करता था। वर्ष 1844 में बिजनौर और वर्ष 2011 में संभल मुरादाबाद से अलग होकर अलग जिले बने थे।
मंडलीय गजेटियर के अनुसार डा. अनुपम ने बताया कि सम्भल जनपद में ऐतिहासिक घटनाक्रम मुरादाबाद जनपद क्षेत्र के ऐतिहासिक घटनाक्रम के समान है। पूर्व में जनपद मुरादाबाद के इतिहास के क्रम में सम्बन्धित बिंदुओं पर सम्भल का उल्लेख किया गया है। हालाँकि सम्भल की स्वयं अपनी भी विशिष्ट विशेषताएँ हैं। ग्रीक भूगोलवेत्ता टॉलमी द्वारा उल्लेखित (दूसरी शताब्दी) सम्भल है। उन्होंने आगे कहा कि सम्भल शहर (मूलतः संभवतः सम्भलपुरा) अति प्राचीन माना जाता है।
‘संभल तीर्थनगरी’ में विलुप्त होते गए मंदिर
सम्भल शहर में कई पुरातात्विक टीले हैं जो प्राचीन भवनों या बस्तियों के स्थल कहे जाते हैं। इनमें सबसे ऊँचा टीला कोट (किला) है जहाँ इस क्षेत्र में मुस्लिमों के आगमन से पूर्व निर्मित सम्भल के प्राचीन किले के अवशेष हैं। एकमात्र इमारत जो बेहतर स्थिति में है वह है भूतपूर्व हरि मंदिर जिसे कालांतर में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। डा. अजय अनुपम कहते हैं कि हमारे पूवर्ज हमें बताया करते थे कि प्राचीन समय में समय संभल बहुत बड़ी तीर्थनगरी थी।
मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान और पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लेकिन एक समय वह भी था जब प्राचीन तीर्थनगरी संभल में पितृपक्ष में दूर-दूर से लोग पितरों का तर्पण करने व पिंडदान करने के लिए संभल में आते थे। संभल में पिंडदान के बाद गया जाकर पिंडदान की आवश्यकता नहीं होती थी।
इतिहासकार डा. अनुपम ने बताया कि भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग की टीम के द्वारा संभल को सर्वें और खुदाई के माध्यम से उभारने के पीछे हिंदु विचारधारा को उभारना है। वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद हिंदुत्व का जो वातावरण दिखाई देने लगा उसकी कल्पना लोगों ने नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ही कर ली थी। बीते साल 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभल में कल्किधाम का शिलांयास करने आए थे। मोदी दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री थे जो संभल दौरे पर आए थे। इससे पूर्व वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी संभल आई थी। इंदिरा ने कांग्रेस प्रत्याशी शरितुल्ला के समर्थन में में हसनपुर मार्ग पर चुनावी सभा को संबोधित किया था।
स्कंदपुराण के अनुसार कलियुग में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। भगवान कल्कि 64 कलाओं में माहिर होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार उत्तर प्रदेश सम्भल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कांग्रेस सिम्मबल पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बीते साल कल्किधाम के शिलान्यास का आमंत्रण पत्र जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया तो उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया था और वह शिलान्यास कार्यक्रम में आ भी गए थे। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन जाने के बाद लोगों ने मोदी, योगी और प्रमोद कृष्णम को जोड़कर देखना शुरू कर दिया। सब सोच रहे हैं कि अयोध्या की भांति संभल में भव्य कल्किधाम भी बनेगा।
संभल में हैं 68 तीर्थ, 19 कूप, 36 पुरे व 52 सराय
संभल में 46 वर्ष बाद खग्गू सराय में प्राचीन शिव मंदिर के कपाट खुलने के बाद जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने पुरातत्व निदेशालय के निदेशक को पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि संभल एक धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगर रहा है। डा. अजय अनुपम कहते हैं कि ऐसा पौराणिक है कि यहां पर 68 तीर्थ, 19 कूप, 36 पुरे व 52 सराय हैं। अधिकारियों के भ्रमण के दौरान तीर्थ व कूप प्रकाश में आए हैं। ये तीर्थ व कूप धार्मिक और जल संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। चूंकि ये प्राचीन बताए जाते हैं। इसलिए इनका काल निर्धारण किया जाना धरोहर संरक्षण की दृष्टि से आवश्यक है। इसी क्रम में चार सदस्यीय टीम संभल पहुंची हुई और सर्वे कर रही है।