PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और औद्योगिक शहर कानपुर में अब कमिश्नरेट व्यवस्था लागू, जानें कैबिनेट का पूरा फैसला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और और औद्योगिक राजधानी कानपुर में कमिश्नरेट सिस्टम को लागू करने की हरी झंडी दी गई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश बड़े शहरों में अपराध और अपराधियों पर अधिक नियंत्रण के लिए इस सिस्टम का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। अब प्रदेश में कमिश्नरेट की संख्या 4 हो गई है।

साल 2020 में 13 जनवरी को राजधानी लखनऊ और आर्थिक राजधानी नोएडा (गौतमबुद्धनगर) में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को लागू किया गया था। यहां एक साल कमिश्नरेट सिस्टम की सफलता के बाद प्रदेश में कमिश्नरेट जिलों की संख्या में इजाफा किया गया है। हालांकि कमिश्नर सिस्टम लागू किए जाने के बाद कहीं ना कहीं IAS लॉबी में बड़ी नाराजगी देखी जा रही है। IAS के बड़े शहरों में अधिकार छीने जाने के बाद दबी जुबान वह इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।

कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद वाराणसी कमिश्नरी में 18 थाने होंगे, जबकि 10 थाने ग्रामीण के अंतर्गत आएंगे। कानपुर कमिश्नरी में 34 थाने होंगे, जबकि कानपुर आउटर में 11 थाने होंगे।

कमिश्नर को मिलेगी मजिस्ट्रेट स्तर की ताकत

  • पुलिस आयुक्त के पास कार्यकारी मजिस्ट्रेट की ताकत होगी।
  • आपात स्थिति में क्षेत्र में धारा 144 लागू कर सकेंगे।
  • धरना करने की अनुमति देने या न देने का अधिकार।
  • दंगे के समय पुलिस द्वारा बल प्रयोग या फायरिंग का अधिकार भी होगा।
  • जमीन पैमाइश व विवादों के निपटारे का अधिकार।

देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में पहले से लागू है यह व्यवस्था

13 जनवरी 2020 को योगी सरकार ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने के बाद लखनऊ में IPS सुजीत पांडेय व गौतमबुद्धनगर में आलोक सिंह को कमिश्नर बनाया था। राजधानी लखनऊ के साथ दिल्ली-NCR के गौतमबुद्धनगर जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता रहती है। मालूम हो कि UP के दो जिलों गौतमबुद्धनगर व गाजियाबाद को छोड़कर NCR के सभी जिलों व शहरों में पहले से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुआ था। वहीं देश के 15 राज्यों में 71 शहरों में पहले से कमिश्नरेट व्यवस्था लागू है। मौजूदा समय में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर हैं।

पुलिस कोर्ट की अहमियत बढ़ी
पुलिस द्वारा कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद धारा-151 और 107/16 के तहत पाबंद किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट है। जिसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था संबंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय लिया जा रहा है। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए न्यायिक न्यायालय ही सुनवाई अब होती है। ऐसा ही अब वाराणसी और कानपुर में भी लागू किया जाएगा।

ये अधिकार DM के पास
कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद आर्म्स एक्ट लाइसेंस देने/रद्द करने, आबकारी के सभी निर्णय, डेवलपमेंट करने का फैसला और जमीन सम्बंधित मामले, जो कि राजस्व का अधिकार जिलाधकारी के पास रहेंगे।लखनऊ और नोएडा के बाद वाराणसी और कानपुर में भी DM के पास सीमित अधिकार ही रहेंगे।

कमिश्नरेट सिस्टम के लिए होनी चाहिए 10 लाख से अधिक आबादी
पूर्व DGP प्रकाश सिंह का कहना है कि कमिश्नरेट प्रणाली 10 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले शहर में ही लागू हो सकती है। कमिश्नर प्रणाली एक पारदर्शी प्रणाली है। अगर किसी भी सिस्टम के पास अधिकार होते तब वह सही निर्णय ले सकता है और उसकी जिम्मेदारी भी तय की जा सकती है।

कमिश्नर सिस्टम के कुल पद इस प्रकार हैं-
पुलिस कमिशनर- CP
संयुक्त आयुक्त- JCP (2)
डिप्टी कमिश्नर- DCP
सहायक आयुक्त- ACP
पुलिस इंस्पेक्टर- PI
सब इंस्पेक्टर- SI
पुलिस दल का सिस्टम लागू रहेगा।