अमर भारती के काव्योत्सव में डॉ. अरविंद डोगरा हुए सम्मानित
गाजियाबाद। “हिंदी कविता की मौत की घोषणा कई बार की जा चुकी है। कई आलोचक दावा करते हैं कि एक दिन टेलीग्राफ की तरह समाज से कविता भी विदा हो जाएगी। कविता हमारी आत्मा की आवाज है और यह जिंदा रहेगी।” यह कहना है संजय कुंदन का। शनिवार की देर शाम अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के मासिक काव्योत्सव को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि कुंदन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में यह बात कही । उन्होंने कहा कि कि सोशल मीडिया देश में हिंदी कवियों की तादाद लाखों में दर्शाता है लेकिन कविता की कोई किताब 5 सौ से ज्यादा नहीं बिकती। जिससे जाहिर है हम कविता के साथ न्याय नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि तुकबंदी को कविता नहीं स्वीकार किया जा सकता। कविता के नाम पर महिलाओं के परिधान या पाकिस्तान पर कटाक्ष का चलन तेजी से फल-फूल रहा है। कविता मनुष्य की स्वतंत्रता के साथ खड़ी होती है।”
नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित काव्य संध्या को वरिष्ठ साहित्यकार पंकज सिंह ने कहा कि “सत्तर वर्षों में यहां कितना हुआ विकास, जनता शासन से नहीं करती कोई आस।” “कक्षा में जो तेज हो सो बाबू हो जाए, जो कोई लायक नहीं तो बाबा बन जाए।”
कवि व पत्रकार रवि पाराशर ने भी अपने शेरों “दोस्ती का गुमान टूटा है, सर पर एक आसमान टूटा है, फूल अब भी है शाख पर लेकिन, उनका इत्मीनान टूटा है” पर जमकर वाहवाही बटोरी।
चिकित्सा एवं काव्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. अरविंद डोगरा को “प्रतिभा सम्मान” प्रदान किया गया। छोटी-छोटी कविताओं “अब न उठाना नींद से कुछ कहते कहते सो गया, वीरानियों की सदा थी कुछ सुनते सुनते सो गया” “न उठाना नींद से उसको थक कर सोया है, टूट न जाए कहीं कांच के नरम ख्वाब हैं” पर उन्होंने जमकर वाहवाही बटोरी। शायर सुरेंद्र सिंघल, बिलास सिंह
संस्था के अध्यक्ष गोविंद गुलशन, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. धनंजय सिंह, मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने भी अपने विचार रखे ।कार्यक्रम का संचालन आलोक यात्री ने किया।
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