भाजपा-टीएमसी के पोस्टकार्ड अभियान में पिस रहे पोस्ट आफिस और आरएमएस

वर्तमान के इंटरनेट युग में सुस्त पड़ चुके भारतीय डाक सेवा और रेलवे मेल सेवा (आरएमएस) अब यकायक सक्रिय हो गए हैं। वजह है भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का पोस्टकार्ड अभियान। दोनों दल रोजाना हजारों की संख्या में जय हिंद, जय श्रीराम और जय बांग्ला लिखे हुए पोस्टकार्ड एक-दूसरे को भेज रहे हैं। इसकी शुरुआत भाजपा समर्थकों ने ममता बनर्जी को जय श्रीराम लिखे हुए पोस्टकार्ड भेजने से की। इसके जवाब में टीएमसी समर्थकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जय हिंद और जय बांग्ला लिखे हुए पोस्टकार्ड भेजना शुरू किया।
दोनों दलों के पोस्टकार्ड अभियान की मार पोस्ट ऑफिस और आरएमएस पर पड़ रही है। आलम यह है कि प्रतिदिन चार से पांच हजार चिट्ठियां अकेले आरएमएस के जरिए मुख्यमंत्री ममता को भेजी जा रही हैं। इधर, पिछले कुछ दिनों से साउथ कोलकाता स्थित कालीघाट पोस्‍ट ऑफिस में पोस्‍टकार्डों का अंबार लग गया है। इन पोस्‍टकार्ड्स पर ‘जय श्रीराम’ लिखा है और इसे ममता बनर्जी को भेजा गया है। ममता का घर इसी पोस्‍ट ऑफिस के अंतर्गत आता है। डाक विभाग के कर्मचारियों के लिए पोस्‍टकार्ड बेहद जरूरी होता है, इसलिए यह विभाग की प्राथमिकता है। पोस्ट आफिस की ओर से बताया गया है कि आमतौर पर प्रतिदिन मुख्यमंत्री के लिए पोस्टकार्ड व पंजीकृत पत्र समेत 30 से 40 पत्र आते थे, लेकिन दोनों पार्टियों के अभियान के कारण अब इनकी संख्या कई गुना बढ़ गई है।

वैसे तो 2011 में ममता के मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार यहां मुख्यमंत्री आवास के लिए अलग से एक पोस्टमैन रखा गया है। अब उसका काम भी बढ़ गया है। एक कर्मचारी ने कहा कि पोस्‍टमैन पत्रों को लेकर प्रतिदिन जाता है और उसे निर्धारित व्‍यक्ति को सौंपकर चला आता है। इस बीच रेलवे मेल सर्विस ने भी गुरुवार को मुख्यमंत्री को भेजे गए पांच हजार पोस्‍टकार्ड अलग किए। राज्य के खाद्य प्रसंकरण मंत्री और उत्तर 24 परगना के टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रिय मल्लिक ने दावा किया है कि पार्टी समर्थक रोज आठ हजार पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भेज रहे हैं, जिस पर जय हिंद-जय बांग्ला लिखा रहता है। वर्तमान में पोस्‍टकार्ड की कमी के चलते फैसला किया गया है कि अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाएंगे। हम पीएमओ को इन पत्रों को भेजना जारी रखेंगे। हालांकि, पोस्ट आफिस और आरएमएस दोनों विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने इस मामले में आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है।
इस अभियान पर बैरकपुर से नवनिर्वाचित भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि ममता को पोस्टकार्ड भेजना जारी रहेगा। मुख्यमंत्री के नाम प्रदेश के विभिन्न जिलों से तो पोस्टकार्ड भेजे ही जा रहे हैं, देशभर से भी लोगों ने पोस्टकार्ड भेजना शुरू किया है। उन्होंने दावा किया कि ना केवल भाजपा कार्यकर्ता बल्कि आम लोग भी जिनकी भावनाएं ममता के आचरण से आहत हुई हैं वे भी पोस्टकार्ड भेज रहे हैं। अर्जुन सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था कि अकेले बैरकपुर क्षेत्र से ममता को 10 लाख पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि वाराणसी के एक संत ने तो मुख्यमंत्री बनर्जी के लिए रामचरितमानस भी भेजी है। अयोध्या के संत भी जय श्रीराम अंकित पोस्टकार्ड भेज रहे हैं। अयोध्या में तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास ने गुरुवार को घोषणा की थी कि ममता के नाम अयोध्या से 11000 जय श्रीराम अंकित पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे।

पोस्टकार्ड पर खर्च 12.15 रुपया, मुनाफा 50 पैसे

मिली जानकारी के मुताबिक पोस्टकार्ड भारत सरकार का एक ऐसा उत्पाद है जिसे आम जनता की खातिर जनहित में बेहद सस्ते दामों पर बेचा जाता है।  भारतीय डाक विभाग की ओर से जारी पोस्टकार्ड महज 50 पैसे में बेचे जाते हैं जबकि एक पोस्टकार्ड बनाने की लागत कहीं ज्यादा होती है।  डाक विभाग की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार, एक साधारण पोस्टकार्ड पर 12.15 रुपए का खर्च आता है, बदले में सरकारी खजाने में 50 पैसे ही आते हैं और यह निर्माण के कुल लागत का महज 4 फीसदी ही है. इस तरह से सरकार एक पोस्टकार्ड पर 11.75 रुपए की सब्सिडी देती है।

संसद में सरकार की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार साल दर साल पोस्टकार्ड के निर्माण पर खर्च बढ़ता ही जा रहा है. 2010-11 में जहां एक पोस्टकार्ड बनाने में 7.49 रुपए खर्च होते थे जो 2016-17 में बढ़कर 12.15 रुपए (1215.76 पैसे) तक पहुंच गया।  2015-16 में पोस्टकार्ड बनाने में 9.94 रुपए (994.21 पैसे) की लागत आई. 2003-04 में एक पोस्टकार्ड बनाने में 6.89 रुपए खर्च होते थे. इस तरह से पिछले 13-14 सालों में पोस्टकार्ड बनाने में खर्च में 76 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दाम वही 50 पैसे ही रहे यानी की सरकार पर खर्च साल दर साल बढ़ता ही चला गया।

प्रिंटेड पोस्टकार्ड पर खर्च 11.74 रुपया, कमाई 6 रुपए  

इसी तरह प्रिटेंट पोस्टकार्ड की बात करें तो 2016-17 में एक प्रिंटेड पोस्टकार्ड पर 11.74 रुपए (1174.45 पैसे) का खर्च आया जबकि 2015-16 में 9.27 रुपए (927.70 पैसे) खर्च हुए।  एक प्रिंटेड पोस्टकार्ड की कीमत 6 रुपए है।  इसके अलावा सरकार एक और अलग पोस्टकार्ड प्रिंट कराती है जिसे कंपटीशन पोस्टकार्ड कहते हैं और इसके एक कार्ड की छपाई की कीमत 9.28 रुपए आती है जबकि इसकी बिक्री 10 रुपए में की जाती है।

डाक विभाग की रिपोर्ट के अनुसार

2016-17 में 99.89 करोड़ पोस्टकार्ड इस्तेमाल किए गए और इसके इस्तेमाल में लगातार गिरावट आ रही है. 2015-16 में 104.70 करोड़ पोस्टकार्ड इस्तेमाल में लाए गए।  जबकि 2009-10 में 119.38 करोड़ पोस्टकार्ड खरीदे गए और इस्तेमाल में आए. इस तरह से 2009-10 और 2016-17 की तुलना में 16.32 फीसदी की गिरावट आई।

बढ़ेगा सरकार का खर्चा

इस तरह से 10 लाख पोस्टकार्ड भेजने वाली बीजेपी 1.21 करोड़ रुपए से ज्यादा और टीएमसी 2.43 करोड़ रुपए का अनावश्यक का खर्च बढ़ाएगी।  जिस हिसाब से वार जोर पकड़ रहा है उससे ऐसा लगता है कि पोस्टकार्ड की संख्या 30 लाख को भी पार कर जाएगी।  पोस्टकार्ड की संख्या 30 लाख की संख्या को पार कर गई तो सरकार का नुकसान और बढ़ जाएगा।  डाक विभाग केंद्र के अधीन है तो सारा खर्च केंद्र को ही वहन करना पड़ेगा।

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