पंजाब चुनाव 2022: सिद्धू और बिक्रम की स्वाभिमान की लड़ाई, चन्नी के सामने आप की खरी चुनौती

पंजाब चुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जा रही है और अब पंजाब में प्रचार का शोर थमने के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की उल्टी गिनटी शुरू हो गई है। 20 फरवरी की सुबह 8 बजे वोटिंग शुरू होगी, जो शाम 6 बजे तक चलेगी। चुनाव प्रचार के दौरान सूबे में सभी दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए हर तिकड़म आजमाया। इस चुनाव में प्रदेश में उन सीटों पर सभी की नजरें हैं, जहां से अलग-अलग सियासी दिग्गज मैदान में हैं।

इस बार पंजाब की हॉट सीटों में अमृतसर ईस्ट, मोगा, धूरी, भदौड़, चमकौर साहिब, पटियाला, लंबी, जलालाबाद और समराला शामिल हैं। लंबी सीट पर प्रदेश के सबसे उम्रदराज नेता और 5 बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल मैदान में हैं। उम्र और स्वास्थ्य बड़े बादल की सबसे बड़ी परेशानी बन रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला सीट से पहली बार अपनी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। कांग्रेस का कॉडर वोट उनके हाथ से निकल चुका है और यही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

अमृतसर ईस्ट सीट पर कांग्रेस के नवजोत सिद्धू और अकाली दल के बिक्रम मजीठिया आमने-सामने प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे हैं। 18 साल में पहली बार सिद्धू को इस तरह की सीधी चुनौती मिली है। यहां AAP उम्मीदवार जीवनजोत कौर को लेकर जो अंडर करंट है, उसने दोनों दिग्गजों की चिंता बढ़ा रखी है। मौजूदा CM चरणजीत सिंह चन्नी दो सीटों भदौड़ और चमकौर साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों ही जगह उन्हें आम आदमी पार्टी से चुनौती मिल रही है। आम आदमी पार्टी का CM चेहरा घोषित किए जा चुके उम्मीदवार भगवंत मान संगरूर जिले की धूरी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। मान धूरी के रहने वाले नहीं हैं, इसलिए वहां उनके सामने बाहरी होने की चुनौती ही सबसे बड़ी है।

बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद मोगा सीट से कांग्रेस टिकट पर मैदान में हैं। पहला चुनाव होने के कारण इलेक्शन मैनेजमेंट उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। उधर, जलालाबाद रायसिख बहुल इलाका है और यहां से जट्‌टसिख सुखबीर बादल अकाली दल के प्रत्याशी हैं। 2019 में उनके सांसद बनने के बाद यहां उपचुनाव में अकाली उम्मीदवार हार चुका है। बदलाव की बयार उनके लिए बड़ी चुनौती है।

लुधियाना जिले की समराला सीट पर किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा बलबीर सिंह राजेवाल मैदान में हैं। राजेवाल का यह पहला चुनाव है और उन्हें इलेक्शन मैनेजमेंट का कोई अनुभव नहीं है। अब इन सियासी दिग्गजों का परफॉर्मेंस इस चुनाव में कैसा रहता है, यह 10 मार्च को पता चलेगा, जब चुनाव नतीजे आएंगे।

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