नई दिल्ली। राफेल सौदे के बारे में दस्तावेज सहित कई खबर खुद लिखने वाले “द हिन्दू” समूह के अध्यक्ष एन.राम केन्द्र सरकार की किसी भी धमकी से नहीं डर रहे हैं। वह जेल जाने के तैयार हैं लेकिन न तो दस्तावेज देने वाले का नाम बतायेंगे न ही माफी मांगेंगे, न ही झुकेंगे। यदि केन्द्र सरकार ने उनके विरूद्ध आफिसियल सीक्रेट एक्ट 1923 के तहत कोई कार्रवाई की तो वह उसका हर संभव तरीके से सामना करेंगे।
राफेल सौदा मामले में सर्वोच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार के वकील अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने 6 मार्च को कहा था कि जिस राफेल मामले में न्यायालय ने सरकार को क्लीनचिट दे दिया है, उस पर जो नयी याचिका दायर की गई है वह रक्षा मंत्रालय से चुराये गये दस्तावेज पर आधारित है। सरकार उसकी जांच करा रही है कि क्या इसमें आफिसियल सीक्रेट एक्ट (ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट या आधिकारिक गुप्त अधिनियम,1923 भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया जासूसी निरोधक कानून है।
इस कानून को अंग्रेजों ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को जासूसी के आरोपों में फंसाने के लिए बनाया था) का उल्लंघन हुआ है। जिस पर विवाद बढ़ने और सरकार की किरकिरी होने पर उन्होंने (अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल) अपने कहे से पलटी मारते हुए कहा कि उनके कहने का आशय दस्तावेज की फोटो कापी करके कोर्ट में याचिका में लगाये जाने से था। दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं, उसके फोटो कापी करके लगाये गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि राफेल सौदे पर दस्तावेज सहित खबरें छापने के चलते “द हिन्दू” व उसके अध्यक्ष एन.राम, सरकार के निशाने पर हैं। वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण शौरी व यशवंत सिन्हा पहले से ही निशाने पर हैं। इनके अलावा न्यूज पोर्टल “द प्रिंट” व उसके प्रमुख शेखर गुप्ता भी निशाने पर हैं। यदि एन.राम की गिरफ्तारी हुई तो यह सरकार के लिए किरकिरी का प्रमुख कारण बन सकती है। लेकिन उनको और दस्तावेज छापने से रोकने के लिए सरकार कुछ न कुछ कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि अब जो छपने की संभावना है उसमें एक मंत्री के हस्ताक्षर वाला दस्तावेज हो सकता है। इस संभावना से सरकार के साहबान परेशान हैं।