Ram Navami 2022 : “जन्मे प्रभु श्रीराम”, सोहर गीतों से गूंज उठी काशी

वाराणसी । चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर रविवार को शिव की नगरी काशी में आदि देव भोलेनाथ के पूज्य प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ तो भक्तों की ख़ुशी का ठिकाना नही रहा। महिलाओं ने सोहर, बधाई गीत गाकर दशरथ नंदन का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर दशाश्वमेध क्षेत्र के त्रिपुरा भैरवी स्थित राम रमापति बैंक में पारम्परिक अनुष्ठान हुए। भगवान को मिश्री और मक्खन का भोग लगा कर वितरित किया गया।

राम रमापति बैंक में सजी करोड़ों की शिवनाम झांकी

राम रमापति बैंक में सजी 19 अरब 39 करोड़ 59 लाख 25 हजार श्रीराम नाम तथा सवा करोड़ शिवनाम की झांकी बैंक प्रबंधक दास कृष्णचन्द्र ने बताया की बैंक में आयोजन को लेकर तैयारियो का सिलसिला काफी दिनों पूर्व ही शुरू कर दिया गया था।

बताया कि, बैंक में इस समय लाखों स्त्री, पुरुष, साधु- संतों भक्तों द्वारा 19 अरब 39 करोड़ 59 लाख 25 हजार श्रीराम नाम तथा सवा करोड़ शिवनाम की अपूर्व झांकी एवं इसकी परिक्रमा भी रविवार से शुरू हुई, जो 19 अप्रैल तक चलेगी। परिक्रमा से पुण्य बटोरने के लिए इस दौरान हजारों भक्त यहा आते है।

झांकी दर्शन व परिक्रमा का क्रम दोपहर बाद तक जारी

इस बिच रविवार की सुबह झांकी दर्शन और परिक्रमा प्रारम्भ हुआ। निरंतर दोपहर तक चलता रहा। दोपहर में जन्म से पूर्व परिक्रमा रोक दिया गया। दोपहर ठीक 12 बजे प्रभु श्रीराम का विधि पूर्वक जन्म हुआ। इस दौरान पूरा मन्दिर भगवान श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। बधाई गीतों और सोहर से प्रभु का गुणगान हुआ। इसके बाद भगवान की भव्य आरती उतारी गई और आरती लेने के लिए भक्तो में होड़ लगी रही। दर्शन पूजन और परिक्रमा का सिलसिला अनवरत चलता रहा।

मक्खन मिश्री का प्रभु को लगाया गया भोग

भक्तों ने भगवान को मक्खन मिश्री के अलावा फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाया। तुलसी की माला चढ़ाने और रामनाम की परिक्रमा करने की होड़ लगी रही। बताया की प्रतिदिन सुबह 8 से शायनकाल 8 बजे तक लेखन, जाप, पाठ के नई कलियों का वितरण दस दिनों तक चलेगा।

95 साल से संचालित होने वाले राम रमापति बैंक में मन के भाव को राम नाम की भक्ति में डुबोकर कागज पर लिखा जाता है और जमा कर दिया जाता है।

प्रभु राम के बाल्यकाल स्वरूप को चढाए गए खिलौने, वस्त्र

बताया कि 11 अप्रैल को अपराह्न 1 बजे से भगवान को चढाए वस्त्र एवं खिलौने बच्चो में वितरित किए जाएंगे। इसी दिन से 19 अप्रैल तक प्रतिदिन अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे तक नृत्य कथा और कीर्तन होगा।

रात्रि में संस्कृतिक समारोह और भगवान के चरित्र का का वर्णन होगा। 12 अप्रैल को दिन में डंडी धारी संतो और भक्तों में प्रसाद वितरण होगा। 19 अप्रैल को महोत्सव की पूर्ण आहुति होगी और सायंकाल भजन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

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