कार्तिक महीने में आने वाली रमा एकादशी व्रत 21 अक्टूबर को होगा। स्कंद, पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक इस एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को किया जाता है। इस व्रत के दौरान सूर्योदय से पहले पानी में तिल मिलाकर नहाने और शाम को दीपदान करने का विधान है। ग्रंथों का कहना है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने वालों की उम्र बढ़ती है और मोक्ष मिलता है।
तिल का महत्व बताने वाला व्रत
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि कार्तिक महीने में तिल का उपयोग करने का महत्व है। रमा एकादशी व्रत में सुबह पानी में तिल मिलाकर नहाने का विधान है। इसके बाद दिन में तिल दान करना चाहिए।
शाम को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा में तिल के तेल का दीपक लगाना चाहिए। बाद में मंदिरों और तुलसी के पास भी तिल के तेल का ही दीपक लगाना चाहिए। ऐसा करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
रमा एकादशी पर दान का महत्व
डॉ. मिश्र के मुताबिक इस एकादशी पर जरुरतमंद लोगों को तिल, गर्म कपड़े, खाना, आसन, गुड़, जूते-चप्पल और फलों का दान करना चाहिए। इस दिन तिल का दान करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। जिससे पाप खत्म हो जाते हैं। इस दान से व्रत करने वाले के पितर भी तृप्त हो जाते हैं।
इस व्रत से दोष भी खत्म होते हैं और हर एकादशी व्रत के पुण्य का फल मिलता है। श्रद्धा से जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह हर तरह के पापों से मुक्त होता है।
एकादशी पर क्या करें
1. इस व्रत में सुबह जल्दी उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। ये न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर नहाएं।
2. पीले कपड़े पहनकर पूजा करें। पूजा में पीले फूल और पीली मिठाई जरूरी शामिल करें।
3. सुबह जल्दी तुलसी, पीपल और आंवले के पेड़ के पास तिल के तेल का दीपक लगाएं।
4. शाम को तुलसी और मंदिरों में तिल के तेल का दीपक लगाएं।