
शहजाद अंसारी
लखनऊ। शासन की अनदेखी के कारण प्रदेश की कई कारागारों में जेल अधीक्षक की सीट पिछले काफी लम्बे समय से खाली पडी है जिससे प्रशासनिक कार्य के साथ साथ कोरोना काल में जेलरों को व्यवस्थाओं से तो जूझना पड़ ही रहा है साथ ही बन्दियों के स्वास्थ्य के साथ साथ जेल की संवेदनशील व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में जेल जैसी संस्था व्यवस्थाओ से जूझ रही है गाजियाबाद] बिजनौर] बदायूं] बरेली] जौनपुर] वाराणसी] रायबरेली आदि जैसी जेले उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तरी भारत की संवेदनशील जेलों में मानी जाती हैं लेकिन शासन की अनदेखी के कारण पिछले काफी लमबे समय से अव्यवस्था से जूझ रही है।
संवेदनशील होने के बावजूद गाजियाबाद जेल का जून 2019 से नोएडा जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा पर अतिरिक्त चार्ज है] बरेली सैंट्रल जेल की कमान जेलर अशोक कुमार सागर ने संभाल रखी है तो बिजनौर की जेल 25 मार्च 19 को जेल अधीक्षक आरके मिश्र के तबादले के बाद से जेलर एसपी सिंह के बलबूते चल रही है।
इतना ही नही शासन की अनदेखी के कारण जेल अधीक्षको की पोस्टिंग न होने से प्रदेश की दर्जनभर जेलों की संवेदनशील व्यवस्था रामभरोसे चल रही है।
लखनऊ में बैठे किसी भी आला अधिकारी के पास इसका कोई जवाब नही है कि भारी मात्रा में पिछले काफी लम्बे समय से खाली पड़ी प्रदेश की जेलों पर जेल अधीक्षको की नियुक्ति क्यों नही की जा रही है। शासन की लापरवाही के कारण मौजूदा हालात ऐसे है कि कोरोना काल में जेलरों को व्यवस्थाओं से जूझना पड़ रहा है जिससे बन्दियों के स्वास्थ्य के साथ साथ जेल की संवेदनशील व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।