हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को नए प्रकाश में दिखाती है रामराज्य

बैनर : ली हीलीअस फ़िल्मस

कलाकार : अमनप्रीत सिंह, शोभिता राणा, सलमान शेख़, संदीप भोजक, गोविंद नामदेव, राजेश शर्मा, शाश्वत प्रतीक

निर्माता : प्रबीर सिन्हा

लेखक :  शिवानंद सिन्हा

निर्देशक : नितेश राय

अवधि : 121 मिनट

सेंसर : यू / ए

रेटिंग – 3.5 स्टार

आज अभिनेता अमनप्रीत सिंह और शोभिता राणा स्टारर फिल्म रामराज्य सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म।

कहानी

फिल्म की कहानी उत्तर भारत के एक गांव से शुरू होती है। लकी (अमनप्रीत सिंह) खुद के लकी होने कहानी अपने दोस्त को सुनाता है। जन्म से पहले ही लकी के पिता महंगाई और बेरोजगारी के चलते अपने पांचवें संतान को जन्म नहीं देना चाहते हैं लेकिन लकी की मां को गुरुदेव बताते हैं कि जन्म लेने वाला बच्चा बहुत भाग्यशाली होगा। लकी के जन्म लेते ही उसके पिता को एक बड़ी कम्पनी में काम मिलता है। साथ ही दोस्त को दिया पैसा ब्याज के साथ वापस मिलता है। शहर में हिंदू मुस्लिम दंगे के बीच लकी की मां उसे अच्छी शिक्षा और सुरक्षा के लिए उसके नाना के साथ शहर भेज देती है। यहां लकी दंगे की चपेट में आ जाता है और अपने नाना को खो देता है।

बेसहारा लकी को गुरुजी ( गोविंद नामदेव ) अपने साथ शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा देते हैं और समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ाई के लिए आशीर्वाद भी देते हैं। लकी अपनी इस लड़ाई में आगे बढ़ता है और उसे सपना (शोभिता राणा) मिलती है, जो अपनी जिंदगी से निराश है। लकी के रामराज्य लाने के इस सफर में तब चौकाने वाला मोड़ आ जाता है, जब उसका भाई निर्भय (संदीप भोजक ) कुछ लोगों को धोखा देकर भाग गया है जिसमें किसान और कॉलेज के बच्चे शामिल हैं। निर्भय द्वारा दिए गए इस धोखे के पीछे स्थानीय विधायक एम पी शुक्ला और उसके भाई मोहित शुक्ला का हाथ है। सबको न्याय दिलाने का संकल्प लिए हुए लकी के संघर्ष का अंत क्या होगा। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

अभिनय

फिल्म में सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है। अमनप्रीत की यह पहली फिल्म है लेकिन फिर भी उनका अभिनय बढ़िया है। बहन रकुल प्रीत के अभिनय की तुलना में अभी उनके अंदर परिपक्वता का अभाव है लेकिन उनसे उम्मीद की जा सकती है। सपना के किरदार में शोभिता राणा बहुत सहज और अच्छा अभिनय किया है। लकी के बड़े भाई निर्भय के किरदार में संदीप भोजक ने बहुत प्रभावशाली अभिनय किया है। एक बेरोजगार और साजिश में फंसे युवा के किरदार में वह दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे हैं। फिल्म में अबरार (सलमान शेख़ ) का अभिनय स्वाभाविक है। फिल्म में अतिथि भूमिका में शास्वत प्रतीक भी प्रभावशाली लगे हैं। मुश्ताक़ शेख की कामिक टाइमिंग बढ़िया है।

लेखन – निर्देशन

शिवानंद सिन्हा बतौर लेखक उनकी यह पहली फिल्म है लेकिन उनका विजन बड़ा है। फिल्म रामराज्य की अवधारणा को आज के युग के रूप में साबित करती है।  कहानी परंपरागत होने के साथ ही आधुनिक और प्रयोग धर्मी है। करप्शन खत्म करने के एक दृश्य में हम यह देख सकते हैं कि निर्देशक नितेश राय एक धार्मिक नायक को सिल्वर स्क्रीन पर आज की दुनिया का हीरो बनाने में सफल हुए हैं।

क्या है सबसे खास

एक लंबे समय के बाद परम्परागत कहानी को फिल्मी ताने बाने में ढालने की नावेल्टी देखने को मिलती है। हिंदू मुस्लिम दंगे और झगड़े पर कई फिल्में बनी हैं लेकिन यह पहली फिल्म है जो इस समुदाय के भाईचारे को एक नए प्रकाश में दिखाती है। आज राजनैतिक उद्देश्य, सामाजिक भेदभाव और धार्मिक अलगाव के अंधेरे में रामराज्य आशा की एक सुनहरी किरण दिखाती है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें