
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ सोशल मीडिया पर उनका यौन उत्पीड़न होने की बात तेजी से वायरल हो रही है। जिसको लेकर मेडिकल रिपोर्ट भी वायरल हुई है, जिसमें कहा गया है कि जेल में एक पाकिस्तानी सेना के मेजर ने इमरान खान का यौन शोषण किया। अब इस मेडिकल रिपोर्ट को लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जा रहे हैं।
क्या है मेडिकल रिपोर्ट की सच्चाई
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों में दावा किया जा रहा है कि मार्च माह में इमरान खान का मेडिकल परीक्षण किया गया, जिसमें उनके साथ यौन हिंसा की पुष्टि होने का दावा किया गया है। कुछ यूजर्स ने इसे पाकिस्तान की प्रतिष्ठित समाचार वेबसाइट ‘डॉन’ से जुड़ी रिपोर्ट बताकर साझा किया है। एक यूजर ने लिखा, “इमरान खान के साथ पाकिस्तानी सेना के मेजर ने बलात्कार किया है। पाकिस्तान के कैदियों में पुरुषों के खिलाफ यौन हिंसा आम बात है।”
30 मिनट तक हुई इमरान खान की जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंता जताए जाने के बाद, पाकिस्तानी डॉक्टरों की एक टीम ने अदियाला जेल में जाकर उनका मेडिकल परीक्षण किया था। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह जांच लगभग 30 मिनट चली थी, लेकिन उस समय रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
सोशल मीडिया पर साझा की जा रही एक कथित मेडिकल रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इमरान खान का परीक्षण पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PIMS), इस्लामाबाद द्वारा किया गया था, जबकि अधिकारियों का कहना है कि यह जांच पाकिस्तान मिलिट्री हॉस्पिटल (PEMH), रावलपिंडी में हुई थी। इस रिपोर्ट में मरीज का नाम “इमरान अहमद खान नियाज़ी” बताया गया है और उसमें शारीरिक व जननांग परीक्षण का विस्तृत विवरण शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, जांच में पाई गई कुछ चिकित्सा स्थितियों जैसे “अस्थिरता”, “बाहरी पेरिनियल एक्चिमोसिस और सूजन”, “रक्तस्राव” आदि का उल्लेख है। इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि यह रिपोर्ट असली है या कहीं फर्जीवाड़ा का हिस्सा तो नहीं। अब तक कोई भी सरकारी या आधिकारिक स्रोत इस दावे को पुष्ट नहीं कर रहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के एक नेता ने कहा है कि इमरान खान को उनके परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंता बढ़ी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन खबरों और रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि अभी नहीं हुई है। सरकार और संबंधित संस्थान स्पष्ट कर चुके हैं कि इस तरह की कोई आधिकारिक रिपोर्ट या पुष्टि नहीं है, जिससे इन दावों का समर्थन हो सके।