‘मां के दूध’ और जानलेवा कोरोना वायरस से जुड़ी रिसर्च दिल को सुकून देने वाली है

चाहे चीन (China) और इजरायल (Israel) हों या फिर विश्व की महाशक्ति अमेरिका (America). कोविड-19 कोरोना वायरस (Coronavirus) ने इटली (Italy), स्पेन (Spain), यूके (UK), पाकिस्तान, फिलीपींस और भारत (India) जैसे देशों को हिलाकर रख दिया है. बीमारी फैलने की प्रमुख वजह संक्रमण (Infection) है इसलिए लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) है और विश्व की एक बड़ी आबादी अपने घरों में कैद रहने को बाध्य है. माना यही जा रहा है कि दुनिया भर के लोग यूं इस तरह तब तक अपने घरों में कैद रहेंगे जब तक इस जानलेवा बीमारी की दवा (Coronavirus Vaccine) नहीं खोज ली जाती.

विश्व के तमाम मुल्क युद्धस्तर पर इस काम में जुट गए हैं और इस महामारी की दवा जल्द से जल्द बाजारों में आ सके इसके लिए एक मे बाद एक नई रिसर्च (Research) सामने आ रही हैं. कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार सहने वाले न्यूयॉर्क (Newyork) से ऐसी ही एक रिसर्च सामने आई है जिसमें इस जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए मां के दूध (Breast Milk) को एक अहम हथियार माना गया.

न्यूयॉर्क के इकैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि मां के दूध में शिशु को कोरोना वायरस से बचाने की जबरदस्त क्षमता है. रिबेका पावेल जो न्यूयार्क से हैं और जो इम्युनिटी को लेकर लगातार शोध कर रही हैं उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया है कि यदि मां अपने बच्चों को स्तनपान करा रही है तो इस स्थिति में दूध पिलाने के कारण मां से शिशुओं में संक्रमण नहीं फैलता है. रिसर्च में रिबेका ने इस बात को बड़ी ही प्रमुखता से बताया है कि अगर मां कोरोना पॉजीटिव भी हो तो मां का दूध नवजात को संक्रमण से बचा सकता है.

रिबेका का शोध अपनी आरंभिक अवस्था में है जिसके अनुसार एक मां के दूध में कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने की अपार क्षमताएं हैं.बताया जा रहा है कि डॉक्टर्स की टीम लगातार इस बात को लेकर शोध कर रही है कि एक मां के दूध में इस जानलेवा वायरस से लड़ने की कितनी क्षमताएं मौजूद हैं. साथ ही टीम ये भी जानने को आतुर है कि क्या मां में दूध की बदौलत कोरोना वायरस से लड़ने के निदान ढूंढे जा सकते हैं या नहीं.

ध्यान रहे कि दुनिया भर के डॉक्टर्स भी तमाम मौकों पर इस बात को स्वीकार चुके हैं कि मां का दूध न केवल बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए ज़रूरी है बल्कि ये उसे तमाम जानलेवा बीमारियों से बचाता है. और अब जबकि ये शोध सामने आ गया है तो वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग है जो इस बात को मानता है कि आने वाले वक़्त में यदि कोरोना की दवा बनी तो इस निर्माण में एक मां के दूध की बड़ी भूमिका होगी.

विशेषज्ञों ने अपने शोध में इस बात का भी अनुमान लगाया है कि ब्रेस्ट मिल्क में पाई जाने वाली एंटीबॉडी कोरोना से लड़ने में मददगार हो सकती है. लेकिन इस दावे को अभी इसलिए भी सत्य नहीं माना जा सकता क्यों कि इसपर अभी बहुत कम काम हुआ है.

गौरतलब है कि माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसीन में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद कार्यरत रिबेका पावेल ने अपने अध्ययन के लिए ऐसी महिलाओं का दूध संग्रह किया जो कोरोना पॉजीटिव हैं. उनकी टीम कॉलेज की लैब में मां के दूध के इम्युनिटी क्षमता पर शोध कर रही है. दांत ही इस लैब में वैज्ञानिक मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी में कोरोना से लड़ने के लिए मौजूद ताकत पर भी स्टडी कर रहे हैं. इस टीम के शुरुआती नतीजे चौंकाने वाले हैं.

टीम ने शोध के लिए 15 महिलाओं पर अध्ययन किया है और कहा है कि मां के दूध में फ्लू जैसी वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी मौजूद है। उनकी टीम ने 15 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क के सेंपल पर अध्ययन किया है जो हाल में कोविड 19 से ठीक हुई हैं. यह शोध एक ऑनलाइन जर्नल में प्रकाशित हुआ है. बता दें कि एंटीबॉडी शरीर में बनने वाले वह प्रोटीन होते हैं जो बाहरी बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने के लिए शरीर को क्षमता प्रदान करते हैं.

शोध में जुटी टीम इस बात को लेकर एकमत है कि अभी इस विषय पर और अधिक शोध की ज़रूरत है. ध्यान रहे कि टीम ने 15 महिलाओं पर शोध किया था जिनमें 13 महिलाओं के स्तन से निकलने वाले दूध में खतरनाक फ्लू से लड़ने वाली एंटीबॉडी जिन्हें एम्युनोग्लोब्लिन ए कहा जाता है. मौजूद थीं.

बहरहाल अब जबकि कोरोना वायरस के मद्देनजर न्यूयॉर्क में हुए इस प्रारंभिक शोध में मां के दूध की प्रासंगिकता पता चल गई है तो कहा यही जा सकता है कि जल्द ही कोरोना वायरस की दवा बाजार में उपलब्ध होगी जिसका इस्तेमाल करके हम कोरोना को इस युद्ध में हराने में कामयाब होंगे.

ये सब कब होता है और दवा कब बाजार में आती है जवाब समय देगा लेकिन जो वर्तमान है वो इसलिए भी सुखद है कि कोरोना के इस खौफनाक दौर में उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है जिसे देखना सुखद रहा है.

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