सुप्रीम कोर्ट बुधवार, 22 जनवरी को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करेगा। यह मामला अगस्त 2024 का है, जब नाइट ड्यूटी पर तैनात एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ दर्दनाक घटना घटी थी। दोषी संजय रॉय को 20 जनवरी को कोलकाता की सियालदह अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
हालांकि, राज्य भर में दोषी को मृत्युदंड दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस मामले में मौत की सजा की अपील करते हुए मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
घटना और कार्रवाई का संक्षेप विवरण
9 अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की दर्दनाक घटना सामने आई। इस भयावह घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त 2024 को इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।
20 जनवरी को कोलकाता की अदालत ने आरोपी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, इस फैसले के बाद मृत्युदंड की मांग तेज हो गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोषी को कठोरतम सजा दिलाने का वादा किया और मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने की घोषणा की।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और माता-पिता की अपील
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पीड़िता के माता-पिता की ओर से दायर एक नए हस्तक्षेप आवेदन पर भी विचार करेगा। इस आवेदन में आरोप लगाया गया है कि मामले की जांच सही तरीके से नहीं की गई और दोषी को कठोरतम सजा दिलाने के लिए आगे की जांच की मांग की गई है।
पश्चिम बंगाल सरकार की अपील
पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें दोषी को मृत्युदंड देने का अनुरोध किया गया। महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने सियालदह अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए यह मामला जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार रशीदी की बेंच के समक्ष रखा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर आक्रोश देखा गया। महिला सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने की मांग करते हुए प्रदर्शन हुए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में सख्त रुख अपनाने का आश्वासन दिया।
क्या कहती है जनता?
सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने दोषी को कठोरतम सजा देने की मांग करते हुए इसे महिला सुरक्षा के लिए एक जरूरी संदेश बताया है। इस घटना ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि न्याय प्रक्रिया की गति और प्रभावशीलता पर भी चर्चा छेड़ दी है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। अब देखना है कि शीर्ष अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है।