पुलवामा में आतंकी हमले से पूरे देश लोगों में गुस्से की लहर है। लोगों ने पाकिस्तान का पुतला फूंककर अपना गुस्सा जाहिर किया और केंद्र सरकार से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की मांग की। कई राजनीतिक दलों ने अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के लोगों ने श्रद्धांजलि दी। कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 37 जवान शहीद हो गए।
पुलवामा आतंकी हमला में मैनपुरी के लाल हुए शहीद
मैनपुरी जम्भू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमला में मैनपुरी का लाल भी शहीद हुआ है। सैनिक के गृह जनपद में शोक के काले बादल छाए हुए हैं। जनपद में चारों तरफ पाकिस्तान व आतंकियों के खिलाफ आक्रोश है। वहीं, भारत मां के अपने इस लाल के पार्थिव शरीर की एक झलक पाने को पूरा जनपद लालायित है।
थाना बरनाहल क्षेत्र में विनायकपुर के मूल निवासी रामवकील माथुर सीआरपीएफ की 176 बटालियन में तैनात थे। आतंकी हमला में सैनिक के शहीद होने की सूचना से घर में कोहराम मचा हुआ है। घर पर ग्रामीणों का जमाबड़ा लग गया है।
छुट्टी बीताकर हाल में गये थे ड्रयूटी
जानकारी के मुताबिक, बीते 07 फरवरी तक रामवकील घर पर छुट्टी बिताए। उसी के एक दिन बाद 08 फरवरी को ड्यूटी के लिए रवाना हो गये थे। शहीद रामवकील अपने पीछे पत्नी गीता के साथ बच्चे राहुल (15) साहुल(10) और गोलू(3) को छोड़ गये हैं। उनकी मां का नाम अमितश्री है। वहीं, पिता की बहुत पहले ही मौत हो चुकी है। बड़े भाई रामनरेश ही परिवार की देखभाल करते हैं।
गुरुवार को सैनिक ने की थी पत्नी से बातचीत
हमला के दिन ही पत्नी गीता से रामवकील की बात हुई थी। उन्होंने परिवार को अपने सकुशल पहुंचने की जानकारी दी थी और घर का हाल जाने थे। घर वालों से रामवकील की करीब-करीब प्रतिदिन बात होती रहती थी। ग्रामीणों के अनुसार गांव और आसपास के युवा रामवकील से बहुत प्रभावित हैं और उनकी राह पर चलने के सपने देखते हैं।
नया घर बनवाने का वायदा रह गया अधूरा
वीरगति को प्राप्त रामवकील के बच्चे केन्द्रीय विद्यालय इटावा में पढ़ते हैं। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की सोच कर चलते रामवकील अपनी पत्नी और बच्चों को इटावा में एक किराये के मकान में शिफ्ट किए थे। पत्नी गीता के अनुसार, रामवकील फिर अगली बार वापस छुट्टी पर आकर नया घर बनवाने का वायदा करके गए थे।
शहीद जवान के पिता ने कहा बेटे के शहादत पर गर्व है
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में झारखंड के गुमला जिले के बसिया के रहनेवाले विजय सोरेंग की भी शहादत हुई है। विजय सीआरपीएफ के 82 बटालियन में हवलदार के पद पर नियुक्त थे। विजय की शहादत की खबर जैसे ही गांव पहुंची पूरे गांव में मातम छा गया। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए विजय के पिता बिरीश सोरेंग ने कहा कि बेटे के शहादत पर उन्हें गर्व है। क्योंकि हमारा बेटा देश के लिए कुर्बान हो गया। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से आग्रह है कि इसका बदला ले और कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान को खत्म कर दें। पूरी करवाई इलेक्शन के पहले हो जानी चाहिए। विजय की पत्नी विमला सोरेंग झारखंड सशस्त्र पुलिस बल गुमला में पोस्टेड हैं। विमला ने कहा कि पति की शहादत पर गर्व है। लेकिन आतंकियों को सरकार की ओर से
करारा जवाब देना चाहिए।
शहादत को सलाम : गुमला के विजय सोरेंग ने दोपहर में की थी पत्नी से बात, शाम को मिली मनहूस सूचना
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में झारखंड के गुमला जिले के विजय सोरेंग (43) भी शहीद हो गए। विजय गुमला के बसिया प्रखंड के बसिया फरसमा गांव के रहने वाले थे। सीआरपीएफ में हवलदार विजय ने गुरुवार को दोपहर में अपनी पत्नी विमला से फोन पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि ‘बर्फबारी के बाद श्रीनगर का रास्ता दो दिनों से बंद था। आज ही खुला है। हम लोग श्रीनगर जा रहे हैं| पता नहीं लौट पाएंगे कि नहीं। कुछ कह नहीं सकते| बच्चों और घर के सभी लोगों का ख्याल रखना।’ इसके कुछ घंटे बाद ही विजय की शहादत की मनहूस खबर आई| विजय के भाई संजय महतो ने बताया कि विजय एक फरवरी को 8 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे। 8 फरवरी को वापस जम्मू के लिए रवाना हुए विजय के पांच बच्चे हैं। दो लड़के और तीन लड़कियां। सबसे बड़ा बेटा 16 साल का है सबसे छोटी बेटी 2 साल की है। पिता गिरीश सोरेंग और भाई संजय किसान हैं । खबर मिलते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। शुक्रवार को ग्रामीणों की भीड़ शहीद विजय के घर पर उमड़ी हुई है। ग्रामीण शहीद के परिजनों को सांत्वना दे रहे हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार शाम सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला किया था। इसमें सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे। हमारे हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी।
शहादत को सलाम: आतंकी हमले में पत्नी से बात करते हुए शहीद हुआ कानपुर का लाल
कानपुर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में देश के जवानों के शहीद होने पर कानपुर में भी शोक का माहौल है। जनपद का एक लाल भी इस हमले में शहीद हुआ है। इसके बाद शहीद के आस-पड़ोस में सन्नाटा पसरा हुआ है और परिवार अपने लाल को अंतिम विदाई के लिए कन्नौज में पैतृक गांव चला गया है।
मूल रूप से कन्नौज के रहने वाला प्रदीप सिंह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात था। उसका बचपन कानपुर में ही बीता। शादी के बाद वह कल्याणपुर के बारा सिरोही में बने मकान में रहता था। यहीं पर पास में ही प्रदीप के पिता अमर सिंह का भी मकान है, जो डिप्टी जेलर के पद से सेवानिवृत्त हैं।
प्रदीप 10 फरवरी को कानपुर से ड्यूटी के लिए निकला था और गुरुवार को आतंकी हमले के दौरान अपनी पत्नी नीरज देवी से बात कर रहा था। अचानक फोन में धमाके की आवाज आने के साथ फोन बंद होने से पत्नी को अनहोनी की आशंका हुई। इसके कुछ ही देर में टेलीविजन में आतंकी हमले की सूचनाएं आने लगी, जिससे परिवार बेहद चिन्तित हो गया। वहीं देर रात सीआरपीएफ की ओर से जानकारी दी गयी कि प्रदीप शहीद हो गया। शहीद होने की खबर पर परिवार में कोहराम मच गया और शहीद के घर पड़ोसी एकत्र होने लगे। आतंकियों के इस कायराना हरकत से लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
पड़ोसी अनिल द्विवेदी ने बताया कि सीआरपीएफ की ओर जानकारी दी गयी है कि प्रदीप का शव पैतृक गांव अजान जनपद कन्नौज में आएगा। शहीद का पूरा परिवार वहां चला गया है। शहीद की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी की उम्र ग्यारह वर्ष और छोटी बेटी की उम्र दो वर्ष है। पूर्व सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी बीएस तोमर ने बताया कि कन्नौज जनपद से अब तक 18 जवान शहीद हो चुके हैं, जिनमें 14 सेना के और चार अर्धसैनिक बल के हैं।