कानपुर। जिले के साढ़ थाना क्षेत्र में शनिवार रात को सड़क दुर्घटना में हुई 26 लोगों की मौत का जिम्मेदार माने जा रहे ट्रैक्टर चालक का अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। रविवार सुबह जब एक-एक कर शव कोरथा गांव पहुंचा तो चारों तरफ मातम नजर आ रहा था। हर किसी के आंखों में आंसू थे। ग्रामीणों की जुबान पर बस यही है कि मौत की मुंह में धकेलने वाला राजू कहा गायब हो गया। यदि उसने शराब न पी होती तो इतना बड़ा हादसा न होता। वह हादसे के बाद से ही फरार है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उसकी तलाश की जा रही है।
कोरथा गांव निवासी राजू निषाद के बेटे मुंडन संस्कार था। चश्मदीदों का कहना है कि खुशी इतनी थी कि राजू ने मंदिर जाने के दौरान शराब पी थी। यही नहीं जब वह वापस लौट रहा था तो चाय-नाश्ता के बहाने शराब पी थी। जबकि उसके साथ गए लोगों ने उसे शराब पीने से मना भी किया था। ग्रामीणों कहना है कि वह शराब पीने के बावजूद ट्रैक्टर चला रहा था और साढ़ एवं गम्भीरपुर गांव के बीच रास्ते में सड़क किनारे स्थित गड्ढे में वह ट्रैक्टर-ट्राली लेकर पलट गया।
बताया जा रहा है कि साढ़ और गम्भीरपुर गांव के बीच रास्ते में अचानक सामने से एक मोटरसाइकिल आ गई। इस दौरान ट्रैक्टर-ट्राली की गति तेज थी। राजू का अचानक ट्रैक्टर-ट्राली से नियंत्रण छूट गया और ट्रैक्टर-ट्राली पलट गया। महिलाएं और बच्चे तालाब में गिर गए, लेकिन ड्राइवर राजू बच गया है। फिलहाल वह हादसे के बाद से फरार है। ग्रामीणों कहना है कि यदि मिल गया तो उसे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
हादसे में एक ही परिवार के 12 सदस्यों की मौत
ज्ञानवती की दो बेटियां हुई थीं। डेढ़ साल पहले उन्होंने मन्नत मांगी कि बेटा होने पर चंद्रिका देवी आएंगे। बेटा हुआ तो उन्होंने नवरात्रि में मुंडन संस्कार कराने की तैयार की। मगर, हादसा होने के बाद 07 महीने का बेटा अभि हैलट अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है। ज्ञानवती ने अपनी बेटी और सास को हादसे में खो दिया है। ज्ञानवती की बहन रामवती की बेटी रचना की भी हादसे में मौत हो गई है। उसके परिवार में अन्य 03 बहनों की भी मौत हो चुकी है। ज्ञानवती के परिवार के 12 लोगों की मौत हुई है। ज्ञानवती ने बताया कि मेरे पति राजू का कोई पता नहीं है। जब ट्रॉली पलटी तो लगा कि कुछ के हाथ-पैर टूटे होंगे, नहीं जानती थी कि इतने लोगों की मौत हो जाएगी।
किसी का परिवार उजड़ा तो किसी के घर का चिराग ही बुझ गया
दिल दहला देने वाले हादसे के बाद गांव में चारों तरफ मातम छाया हुआ है। हर किसी के दरवाजे पर महिलाएं सिसकियां भर रही हैं। पुरुष भी अपने आंसू रोक नहीं सके। एक भी घर में चूल्हा नहीं जला। रविवार भोर के बाद से एक-एक करके सीएचसी से शवों को कोरथा गांव भेजने का सिलसिला जारी हो गया। गांव में शव पहुंचते ही चीत्कार मच गई। जैसे-जैसे सभी शव पहुंचते गए पूरा गांव मातम में डूब गया। किसी के पत्नी की हादसे में मौत हो गई तो किसी ने अपने इकलौते चिराग को खो दिया। तो किसी का पूरा परिवार ही उजड़ गया। हर तरफ गम, गुस्सा और चीत्कार मची हुई थी। हर कोई अपने के बिछड़ने की बात को विश्वास नहीं कर पा रहा था। कोई लिपट कर रोता दिखा तो कोई तो कोई यह कह रहा था कि बेटा एक बार आंख खोल दो बस… अम्मा देखो इंतजार कर रही है।