शाहजहांपुर में अल्हागंज क्षेत्र के सुप्रसिद्ध काली देवी मंदिर चिल्लौआ में सैंकड़ों वर्षों की भांति इस वर्ष भी बड़ी धूम धाम से आयोजित होने जा रहा है। मेला प्रबंधक प्रवेश मिश्रा के मुताबिक चिल्लौआ काली देवी के मंदिर पर हजारों वर्ष पूर्व पाण्डवों ने पूजा अर्चना करते हुए अपनी सिद्धियां प्राप्त की थीं। तब से लेकर आज तक क्षेत्र के तीन जिलों से देवी मन्दिर पर माथा टेक कर अपनी मन्नते पूरी करने की मांग कर आ रहे हैं। जो माता काली सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
मनोकामना पूर्ण होते ही आने वाले मेले में भक्तगण बड़े धूम धाम से माता काली को फरिया उढ़निया और घंटा चढ़ाते हैं। हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ होती है जिसके लिए अल्हागंज थाना क्षेत्र की पुलिस के साथ अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाता है। चोट लफंगों और जेबकतरों को लेकर पुलिस की पैनी नज़र रहती है। मनोरंजन के लिए झूला हिडोला और दंगल भी होता है जिसमें कानपुर बरेली एटा फर्रूखाबाद शाहजहानपुर मेरठ आदि के पहलवान अपनी ताकत दिखाकर पुरुष्कार प्राप्त करते हैं। मां काली देवी मंदिर पर चार दिवसीय मेला की तैयारियां जोरो से शुरु हो गयी है। जोकि इस बार 3 अप्रेल से शुरू होकर 6 अप्रैल को समापन होगा। इस मेले मे मां के दरबार आने के लिए दूर दूर तक के लोग इस मेले का इंतजार करते है। उनकी मुराद तीन अप्रैल को पूर्ण हो जाऐगी।
सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा पाण्डव कालीन चिल्लौआ मेला को लेकर तैयारियां शुरू
अल्हागंज जलालाबाद स्टेट हाईवे पर अल्हागंज से करीब पांच किलोमीटर और स्टेट हाईवे से एक किलोमीटर पूरब दिशा में बसा गांव चिलौआ इस प्राचीन मंदिर के कारण दूर-दूर तक विख्यात है। हर वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष के तेरस पर्व से इस मेले की होने वाली शुरुआत होती है। इस वर्ष यह मेला 3 अप्रैल से प्रारंभ होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। मंदिर के साथ ही हर साल यहां लगने वाला मेला भी हजारों साल पुराना बताया जाता है। मेले का प्रमुख आकर्षण यहां होने वाला दंगल होता था। जो कोरोना काल से बंद है।
इस बार रासलीला की भी तैयारीयां शुरू हो गयी है। जिसे लोग दूर दूर से देखने आते है। मंदिर मे दुर्गा जागरण भी होता है। तमाम दुकानदारों ने भी मेला स्थल पर पहुंचने के लिए अभी से तैयारियां शुरु कर दी है। मेले में मेला प्रबंधक प्रवेश कुमार मिश्रा ने बताया है कि किसी दुकानदार आदि को कोई जानकारी चाहिए तो वह उनके नंबर 9794504390 पर फोन करके बात कर सकता है । साथ ही किसी भी समस्या के लिए सभी ग्राम वासियों का सहयोग रहेगा। मेले में पुलिस व्यवस्था भी पूरी तरह से रहेगी है। जिसके लिए मेला प्रबंधक द्वारा गुरूवार को पुलिस को लिखित सूचना दे दी गयी है। आमजन के लिए गर्मी की वजह से पानी की भी उचित व्यवस्था की जा रही है। साथ ही दुकानदारों के लिए लाईट आदि की भी उचित व्यवस्था की जा रही है।
मेला निकल जइये, फिर फरिया उढ़नियां को का हुइयै
वर्षों पुरानी यह कहावत आज भी चलन में है। बताते हैं कि इस कहावत की शुरुआत चिलौआ में स्थित देवी मां के मंदिर से हुई थी। प्राचीन समय में इस क्षेत्र में रुहेला सरदारों के शासन के दौरान घटित हुए एक वाकये से ही इस कहावत का जन्म हुआ। मुराद पूरी होने पर भक्तों की और से देवी मइया को फरिया उढ़निया चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। मेले में इसकी कई दुकानें लगती हैं। तमाम लोग मइया के इन वस्त्रों को स्वयं तैयार करके भी लाते हैं।