शाहजहांपुर के निगोही में गुरुवार को कथा का शिवमहापुराण कथा शुभारंभ किया गया जिसके बाद श्री गणेश जी की पूजा कर कथा की शुरुआत की गई। जिसमें प्रथम ज्योतिर्लिंग की सोमनाथ भगवान की कथा का वर्णन किया गया ।
प्रथम ज्योतिष लिंग सोमनाथ का वर्णन पंडित शिवलाल शुक्ला ने मुख्य अजवाइन लाल राजकुमार सोना को सुनाया। कि बेटियों के दुख से क्रोधित दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे डाला। दक्ष के श्राप के बाद चंद्रमा क्षयरोग के शिकार हो गए। श्राप से ग्रसित होकर चंद्रमा का तेज क्षीण पड़ने लगा। इससे पृथ्वी की वनस्पतियों पर भी बुरा असर पड़ने लगा। इसके बाद चंद्रमा शनि न्याय के देवता शनि देवता के पास पहुंचकर उसने उपाय पूछा इसके बाद भगवान सब सोमनाथ की पूजा करने को बताया गया।
शुक्रवार दूसरे मल्लिकाअर्जुन ज्योतिर्लिंग के दिव्य कथा माता पार्वती स्नान करने बैठी लीला करने में माहिर भगवान शिव कैलाश में प्रवेश करते इस समय माता पार्वती लज्जा बस खड़ी हो स्नान करने के बाद माता पार्वती उनकी जो दो सखी जय ,विजय थी उन्होंने माता से कहा है । मां हमारा कोई ऐसा गाना हो जो हमारी ही आज्ञा का पालन करें तो माता पार्वती को यह बात अच्छी लगी और पुनः स्नान करने बैठ गई स्नान करने में शरीर से जो माल निकला उसका एक पुंज बनाया और मित्रों से आवाहन करके उसमें बालक का प्रकट हुआ उसे बालक को माता पार्वती ने मित्रों के द्वारा अनेक शक्ति प्रदान कर दी ,और उनको नए बाल आभूषण वस्त्र प्रदान कर दिए । एक छड़ी हाथ में दे दी और उसे बालक से कहा आज से हमारे तुम आज्ञाकारी पुत्र हो हमारी ही आज्ञा का पालन करोगे ।
लीला करने में मैहर माता पार्वती स्नान करने लगी इस समय भगवान शंकर आते हैं । उसे बालक ने भगवान शंकर को रोक दिया भगवान शंकर पुनः वापस हो गए नंदी भृंगी सारंगी जिनको हम हो गया था कि हम बलवान हैं , तो भगवान ने नदी पर कहा कि जो बालों को समझो और नहीं माने तो उसको युद्ध से उसको परास्त कर दो । इसके बाद भगवान गणेश और शिव में युद्ध हुआ और युद्ध में भगवान शिव ने गणेश का सिर काट दिया इसके बाद माता विलाप करते हुए मां क्रोधित हो गई और संसार में हर-हर मच गई जिसके बाद सभी देवता भगवान गणेश को जीवित करने के लिए भगवान शिव से आग्रह किया
जिसके बाद उत्तर दिशा में पहले गज की पत्नी का हथिनी ने बच्चों का सर काट कर देवता उसे बालक को जोड़ देते हैं । बालक जीवित होता है तब की माता पार्वती का क्रोध शांत नहीं होता है माता पार्वती ने कहा कि संसार में मेरे बालक का उपवास होगा इसीलिए उनका प्रथम पूजन हो तब हम क्रोध शांत करें सभी देवताओं भगवान गणेश का पूजन किया उसी के साथ भगवान गणेश का प्रथम पूजन घर-घर होने लगा । महाकालेश्वर ,ओंकारेश्वर कथाओं का भी वर्णन किया गया जिसमें मुख्य यजमान रामौतार सोनी रहे कथा श्रवण कराने वाले लोग राजा भईया, कृष सोनी, अनूप सिंह, राज कुमार सोना विकास अनुज सोनी, रामाकांत दीक्षित , प्रदीप राठौर आदि लोग उपस्थित रहे।