इस साल 10 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का प्रारम्भ हो रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि की शुरुआत होती है जो नवमी तक चलती है। शारदीय नवरात्रि 19 अक्टूबर को समाप्त होगी। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की अराधना की जाती है।
यही नहीं नवरात्रि के पहले दिन भक्त अपने घरों में कलश स्थापित कर पूजन करते हैं। माना जाता है कि जो भी भक्त पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करता है, मां उसे जीवनभर का आशीर्वाद देती हैं।
इन नौ दिन तक मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां का पूजन होता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि की का महत्व एंव कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त।
शारदीय नवरात्रि का महत्व
हर साल चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ महीने में नवरात्र आते हैं। जिसमें से चैत्र और आश्विन माह में पड़ने वाले नवरात्र बेहद लोकप्रिय हैं। वहीं आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती है। वहीं, सिद्धि साधना के लिए शारदीय नवरात्रि का अपना अलग महत्व है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
कलश स्थापना 10 अक्टूबर को 06:18:40 से लेकर 10:11:37 तक कर सकते हैं। अगर आप किसी वजह से कलश स्थापित नहीं कर सकते तो 11:36 बजे से लेकर दोपहर 12:24 बजे तक कलश की स्थापना कर सकते हैं।
माना जाता है कि भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरूआत की थी। उन्होंने लगातार नौ दिन तक पूजा की थी जिसके बाद उन्हें लंका पर विजय प्राप्ति हुई थी। इसी कारण शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।