अग्नि शमन रोकने में कतरनियां वन क्षेत्र है भगवान भरोसे…

क़ुतुब अंसारी 
मिहीपुरवा ( बहराइच ) जनपद मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित कतरनिया वन क्षेत्र के आसपास के 17 राजस्व ग्राम , पांच वनग्राम तथा 19 वन वस्तियां प्रतिवर्ष अग्नि कांड की पीडा़ झेलती हैं। जंगलों में आग लगने के कारण हर तरफ धुंध ही धुंध छा जाती है और लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है।  जंगल मे अग्नि कांड के शिकार सबसे ज्यादा शाही ,खरगोश ,अजगर और  अन्य छोटे जीव होते हैं ।   अग्नि कांड होने पर लोग स्थानीय संसाधनों के सहारे ही आग बुझाते है और इनको समय पर अग्नि शमन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
 गत 7 मई को नेपाल सीमा से सटे सलारपुर गांव में गैस सिलेंडर से लगी आग में दो लोगों की मृत्यु हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे।
आग स्थानीय लोगों और सीमा पर तैनात सशक्त सीमा बल के जवानों के प्रयास से भी जब नहीं बुझी तो समीप वर्ती नेपाल के गुलरिहा से अग्नि शमन टैंकर को बुलाना पड़ा और तब जाकर आज बुझाई जा सकी। इसी तरह कतरनिया  जंगल के सभी रेंजो में कई जगह पर अग्नि कांड चल रहे हैं लेकिन पानी टैंकर के अभाव में उन्हें बुझाया नहीं जा रहा है फल बहुत सारे दुर्लभ जीव जंतु अग्नि के शिकार हो रहे हैं ।
वर्षों से लोगों की यह मांग रही है कि गिरिजा पुरी पुलिस चौकी को अग्निशमन चौकी के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए क्योंकि वर्तमान में गिरजा पुरी पुलिस चौकी का उपयोग नहीं हो रहा है। यदि गिरिजा पुरी या सुजौली में अग्नि शमन  चौकी स्थापित हो जाए तो किसी भी भयंकर हादसों से निपटा जा सकता है लेकिन जनता से जुड़ी इस मुद्दे पर शासन को अवगत कराने की हिम्मत किसी जनप्रतिनिधि की नहीं हो रही है। और प्रशासन भी  हाथ पर हाथ धरे लोगों को आग से बर्बाद होते देख रहा है।
एक ओर आग का यह तांडव है तो दूसरी ओर इन दिनों कतरनिया घाट वन्यजीव प्रभाग में पानी की जबरदस्त किल्लत है फलस्वरुप वन्यजीव पानी की तलाश में गांव की और रुख कर रहे हैं ।
सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी में मांग की है कि कतरनिया वन क्षेत्र में अग्नि कांड से जान माल के नुकसान को बचाने के लिए शीघ्रातिशीघ्र गिरजापुरी या सुजौली में अग्नि शमन चौकी खोली जाए। साथ ही वन क्षेत्र में अग्नि कांड के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही भी की जाए।