श्रवण साहू हत्याकांड: सात साल बाद  इंसाफ, मुख्तार के गुर्गे समेत आठ को उम्रकैद  

सीबीआई कोर्ट ने सुनाई  आरोपियों को सजा

 बेटे आयुष की हत्या की पैरवी पर श्रवण साहू को भी उतार दिया गया था मौत के घाट  

चर्चित हत्याकांड में सामने आई थी पुलिस के तत्कालीन अधिकारियों की बड़ी लापरवाही   

लखनऊ। राजधानी के सआदतगंज इलाके में 16 अक्टूबर  साल 2013 में एक नए नए छुटभैया अपराधी अकील अंसारी जो मुख्तार के गुर्गो में शामिल था, और असलहे के बल पर उसके सिर पर वसूली का भूत सवार था। घटना कैम्पल रोड पर मौजूद एक बीयर शॉप पर हुई जब आयुष साहू दोस्तों के साथ बियर पीने पहुंचा था। लेकिन वहां एक ही ठंडी बियर थी।  आयुष ने तुरंत पैसे निकाले और बियर ली लेकिन उसी वक्त अकील भी वहां पहुंचा और बियर की डिमांड की लेकिन वो आयुष के हाथ में थी। लेकिन अकील को ना सुनने की शायद अपने आका की तरह आदत नहीं थी। दोनों के बीच विवाद हुआ और अकील ने आयुष को बीच सड़क गोली मार दी। बुढ़ा बाप श्रवण साहू बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए दर दर की ठोकरें खाता रहा लेकिन उस वक्त की लचर कानून व्यवस्था उसे सुरक्षा नहीं दे पाई क्योंकि कई खाकी धारी भी इस हत्याकांड में शामिल थे, उन्हीं से मिले उस छुटभैय्या अपराधी के हौसले बुलंद थे। और इसी के दम पर वो श्रवण साहू को धमकी और साजिशों की बदौलत तोड़ रहा था। लेकिन जब वो रोकने में नाकाम हो गया तो उसने साल 2017 में श्रवण साहू जब अपनी दुकान पर बैठे हिसाब किताब कर रहे थे। तभी उन्हे भी गोलियों से हमेशा के लिए खामोश कर दिया । बहरहाल मामला कोर्ट के आदेश पर सीबीआई तक पहुंचा और जांच पड़ताल का दौर चलता रहा जिसमें  करीब सात साल बाद गुरुवार को अपराधी अकील अंसारी, सत्यम पटेल, अमन सिंह, विवेक वर्मा, बाबू खान, फैसल, अजय पटेल, रोहित मिश्रा को उम्रकैद की सजा सुनाई और एक-एक लाख का जुर्माना लगाया।        

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