
मैनपुरी- हेपेटाइटिस की खोज करने वाले वैज्ञानिक डा. बारूख ब्लंबरबर्ग के जन्म दिन पर 28 जुलाई को हर वर्ष विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन का मकसद हेपेटाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करना है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 ए.के. पाण्डेय का कहना है कि हेपेटाइटिस के बारे में लोगों में जागरूकता की काफी कमी है। इसके चलते इसकी पहचान और उपचार में देरी कई बार जान पर भारी पड़ जाती है। सीएमओ ने बताया कि कोरोना संक्रमण की ही तरह हेपेटाइटिस से बचाव के लिए सबसे पहली जरूरत हाथों को साफ रखना है। सीएमओ ने बताया कि हेपेटाइटिस दरअसल लिवर में सूजन है। इसकी पहचान और उपचार में देरी के कारण कई बार यह कैंसर तक कारण बन सकती है। लिवर में सूजन आने की स्थिति में सबसे पहले भूख प्रभावित होती है। मरीज को भूख नहीं लगती है। इसके अलावा उल्टी, थकान और बुखार भी हेपेटाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा आंखों के सफेद भाग में पीलापन आ जाता है। इसी कारण कई बार लोग इसे पीलिया मान बैठते हैं और झांड़ फूंक के चक्कर में भी पड़ जाते हैं। यह लक्षण आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं।
इस तरह से करें बचाव
ताजे फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर और छीलकर ही सेवन करें। कच्चा या अधपका मांस का सेवन न करें। बाजार की बर्फ का किसी भी पेय पदार्थ में सीधे डालकर सेवन करने से बचें। यदि फिल्टर या आरओ उपलब्ध न हो तो पानी को उबालकर पीएं। हमेशा खाना खाने से पहले साबुन पानी से 20 सेकंड तक हाथ जरूर धोएं। अल्कोहल और धूम्रपान को कम करने के लिए लोगों को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है।
ये हैं हेपेटाइटिस के लक्षण
मैनपुरी जिला अस्पताल में तैनात फिजीशियन डॉ0 धर्मेंद्र सिंह बताते हैं कि कुछ लोगों में शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। आमतौर पर इसके लक्षण 15 से 180 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर बुखार, निमोनिया, भूख न लगना, उलटी होना, पेट में दर्द, दिल घबराना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, सिर दर्द, वजन कम होना, चक्कर आना, यूरिन का रंग पीला हो जाना, खुजली रहना, त्वचा, आँखों के सफेद भाग, जीभ का रंग पीला पड़ जाना, लिवर का आकार बढ़ना और महिलाओं में मासिक धर्म का गड़बड़ होना इत्यादि हैपेटाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण मिलने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।