सीतापुर। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए एक मई से ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ अभियान का शुभारंभ किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान में गर्भावस्था और प्रसवोपरांत महिलाओं के पोषण पर विशेष जोर दिया जाएगा। अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री महिलाओं को चिन्हित कर सूचीबद्ध करेंगी, ताकि सेहत को लेकर उनका फालोअप किया जा सके।
बेहतर स्वास्थ्य व सही पोषण के संबंध में दी जाएगी जानकारी
एसीएमओ डॉ. कमलेश चंद्रा ने बताया कि शरीर में खून की कमी के चलते गर्भवती को प्रसव के दौरान कई बार विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। गर्भवती को एनीमिया मुक्त बनाने और सुरक्षित प्रसव को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर अभियान की शुरुआत एक मई से शुरू करने जा रहा है। जिसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में सभी सीएचसी के अधीक्षकों सहित बीपीएम एवं बीसीपीएम को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
अभियान जनपद के सभी ब्लॉकों, ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों पर 31 मई तक चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सही तरीके से खानपान न होने अौर अत्यधिक मात्रा में फास्ट फूड के सेवन से महिलाओं को खून की कमी से जूझना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उठानी पड़ती है। इन सभी मुश्किलों से निजात दिलाने के लिए ही एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर अभियान चलाया जा रहा है।
आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजोल व फॉलिक एसिड की गोलियों का होगा मुफ्त वितरण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत वर्मा का कहना है कि अभियान के दौरान गर्भवतियों को ठीक समय पर दवा देने के साथ ही उनका फालोअप भी लिया जाएगा, ताकि पता चल सके कि महिला दवा का सेवन कर रही हैं अथवा नहीं। इस दौरान महिला को किसी दवा के सेवन से समस्या होती है तो उसकी भी पड़ताल की जाएगी।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता उपेंद्र सिंह यादव ने बताया कि अभियान का उद्देश्य सभी गर्भवती व धात्री महिला तक आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजोल व फॉलिक एसिड की गोलियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, गर्भवती में इन दवाओं के प्रति उत्पन्न भ्रांतियों व मिथकों को दूर करना और समय से दवा के सेवन को लेकर जागरूक करना है। इसके साथ ही गर्भवती को प्रसव पूर्व सभी जांचों के लिए जागरूक करना है।
दो चरणों में चलेगा अभियान
एसीएमओ डॉ. कमलेश चंद्रा ने बताया कि अभियान दो चरणों में चलेगा। पहले चरण में एक मई से 24 मई तक लाभार्थियों को सभी स्वास्थ्य इकाइयों की ओपीडी एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान व वीएचएसएनडी सत्र के माध्यम से जन जागरूकता लाई जाएगी। इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड व एलबेंडाजोल की गोलियों के वितरण के साथ ही स्वास्थ्य व पोषण संबंधी जानकारियां व सेवाएं दी जाएगीं। दूसरे चरण में 25 मई से 31 मई तक माॅपअप सप्ताह के तहत क्षेत्र की छूटी हुई गर्भवती व धात्री महिलाओं को आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड व एलबेंडाजोल की गोलियों के वितरण के साथ ही स्वास्थ्य व पोषण संबंधी जानकारियां व सेवाएं दी जाएगीं।
एनीमिया को लेकर आई सजगता
बीते चार सालों की बात करें तो एनीमिया (खून की कमी) की गंभीरता को भी महिलाओं ने अच्छी तरह से समझा है। एनएफएचएस-5 के अनुसार प्रसव के दौरान एनीमिया को लेकर उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके चलते 18 फीसद महिलाओं ने कम से कम 100 दिन और 9.6 प्रतिशत महिलाओं ने कम से कम 180 दिनों तक आयरन फोलिक एसिड का प्रयोग किया, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आकड़ा क्रमश: 5.1 और 1.5 प्रतिशत ही था।