सकरन(सीतापुर)- सकरन क्षेत्र में लंपी वायरस से प्रभावित गोवंशीय पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। मवेशियों पर काल बनकर टूट रहे लंपी वायरस से पशुओं को बचाने के लिए पशु चिकित्सालयों में वैक्सीन की भरपूर उपलब्धता है। लेकिन यह वैक्सीन सड़कों पर आश्रय और चारा पानी की तलाश में भटक रहे बेसहारा गोवंश तक नहीं पहुंच पा रही है। जिससे बड़ी संख्या में आश्रय विहीन निराश्रित गोवंश लंपी वायरस की चपेट में आकर जान गँवा रहा है।
लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को बुखार आने के साथ उनके शरीर में गाँठें पड़ जाती हैं। इस जानलेवा बीमारी से पशुओं में तेज बुखार आना,दूध उत्पादन में अत्यधिक कमी होना,भूख ना लगना,नाक से पानी बहना और आंखों में पानी आना शामिल है।पशुओं के पैरों में सूजन और लंगड़ा पन आ जाने से इनमें कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। पशुचिकित्साधिकारी सांडा डॉ राजेश प्रसाद से जब लंपी वायरस से मवेशियों को बचाने को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्थाई गौशालाओं में सभी संरक्षित गोवंश का शत-शत टीकाकरण करा दिया गया है।
वही पशुपालकों के पास मौजूद मवेशियों का टीकाकरण तेजी से पूरा कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मच्छरों से पशुओं को बचाने के लिए शाम होते ही पशुओं के पास नीम की पत्तियों का धुवाँ करें, कीटनाशकों का नियमित रूप से छिड़काव करें। मच्छरों से ही यह जानलेवा बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है।
लेकिन जब उनसे सड़कों पर आश्रय लिए सैकड़ों की संख्या में निराश्रित बेसहारा गोवंश को लंपी वायरस से बचाने को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस दिशा में वैक्सीनेशन कार्य शुरू नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर आश्रय लिए बड़ी संख्या में गोवंश की लंपी वायरस से कैसे जान बचेगी। इस यक्ष प्रश्न का जवाब शायद किसी के पास नहीं है।