सीतापुर : अद्भुत व अकल्पनीय नजर आया परिक्रमा का छठा पड़ाव देवगवां

संदनासीतापुर। उत्तर भारत का ख्यातिलब्ध चौरासी कोसी परिक्रमा का छठा पड़ाव स्थल देवगवां मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त की बेला में अदभुत और अकल्पनीय नजर आया। मोक्ष की कामना को लेकर रामादल में शामिल सभी साधु-संतों व गृहस्थों में अपने अगले पड़ाव पर शीघ्र पहुंचने की व्यग्रता नजर आई। परिक्रमार्थी राम नाम का आश्रय लेकर अगले पड़ाव को और बढ़ते जा रहे थे मानो उनमें एक नई ऊर्जा का संचार हुआ हो।वहां के ग्रामीण भी श्रद्धालुयो को देख कर काफी खुश नजर आ रहे थे ओड़व स्थल पर भंडारे का भी आयोजन भक्तों के द्वारा किया जा रहा था।

देवगवाँ पड़ाव की पौराणिक मान्यता

इस पड़ाव को द्रोणाचार्य के नाम से भी जाना जाता है।देवगवां पड़ाव पर स्थित ब्रह्म स्थान व पौराणिक कूप का पूजन किया। किसी जमाने में यह देवताओं का गांव था। पड़ाव स्थल पर मौजूद साधु व संत लोगों को इस स्थान का महत्व बता रहे थे। देर शाम तक इस पड़ाव स्थल पर श्रद्धालुओं का आना जारी था।

ये हैं दर्शनीय स्थल

देवगवां से मड़रूवा पड़ाव के बीच कई दर्शनीय स्थल हैं। वाल्मीकि जी के कूप पर लोटा डोर के दान की मान्यता है। इसे मांडव ऋषि का स्थान भी माना जाता है। यहीं पर चंद्रावल में चंद्र-चंदनी और चंद्रावल देवी का भव्य मंदिर है। पास में मड़रूवा गांव में परिक्रमा रात्रि विश्राम करता है। मंडरीक तालाब, राम जानकी मंदिर, राम तालाब, लक्कड़ बाबा मंदिर, ठाकुर राम-जानकी मंदिर स्थित है। श्रद्धालु रामताल तीर्थ में जल से आचमन करते हैं। श्रद्धालु गुड़ कटोरा दान करते है।

आज मडरूवा ठहरेगा रामादल

श्रद्धालु परिक्रमा पड़ाव देवगवाँ से मड़रूवा पड़ाव के बीच अनेक दर्शनीय स्थल पड़ते है. जैसे शिवगंगा तीर्थ, प्रमोदव आदि स्थानों को होते हुए वाल्मीकि जी के कूप पर आ जाते है. यहाँ लोटा डोर का दान दिया जाता है. इसे माण्डम मुनि का स्थान भी माना जाता है. यहीं पर चन्द्रचंदनी और चन्द्रावलदेवी का भव्य मंदिर है. यहीं पास में मड़रूवा ग्राम में परिक्रमा रात्रि विश्राम करता है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट