
बैलेट बेहतर अथवा ईवीएम
महोली-सीतापुर। सियासी दौर शुरू हुआ तो ईवीएम एक बार फिर सुर्खियों में आ गयी। ईवीएम को लेकर जनता के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग मतदान को लेकर ईवीएम को बेहतर मानते है कुछ बैलेट। हालांकि ईवीएम मुद्दा महज चुनाव तक सीमित रहता है। ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान करना बेहद आसान है। मतदान के बाद एक भी वोट इनवैलिड नही होता। काउंटिंग में भी हेरफेर की गुंजाइश नही रहती। इसलिए चुनाव आयोग ईवीएम को सबसे बेहतर विकल्प मानता है। हालांकि लोक सभा व विधान सभा चुनाव ईवीएम से होता है। वहीं पंचायत चुनाव अभी भी बैलेट से कराए जाते हैं। सामान्यतः ईवीएम से धांधली की संभावना असंभव सी प्रतीत होती है। इसके बावजूद नतीजे आने के बाद लोग ईवीएम पर उंगलियां उठाते हैं। कुछ लोग ईवीएम से धांधली की शिकायत करते हैं और बैलेट को बेहतर मानते हैं। कुछ लोग बैलेट से धांधली की आशंका जाहिर करते हैं और ईवीएम को ही बेहतर व विश्वसनीय मानते हैं। बहरहाल, ईवीएम को लेकर शुरू से ही बहस छिड़ी हुई है। हार के बाद प्रत्याशी व पार्टी दोनों ईवीएम में हेराफेरी की शिकायत करते हैं। वहीं चुनाव आयोग ईवीएम से हेराफेरी को सही नही मानता। कस्बे के अधिवक्ता नीरज मिश्रा का कहना है ईवीएम से मतदान करना सरल व सुरक्षित है। मुझे ऐसा नही लगता ईवीएम से धांधली की जा सकती है। ईवीएम से एक भी मत खराब नही होता।
काउंटिंग में भी आसानी रहती है। बड़ागांव निवासी संतोष का मत है ईवीएम ही मतदान के लिए सबसे बेहतर विकल्प है। हार के बाद लोग ईवीएम पर उंगलियां उठाते हैं। उनके पास हार को लेकर कोई जवाब नही रहता। इसलिए ईवीएम से धांधली का राग अलापते हैं। उरदौली निवासी संजय को ईवीएम से मतदान पर आपत्ति है। उनका कहना है ईवीएम के बारे में आमजन नही जानते। ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। मतदान के बाद सबकुछ मशीनों पर निर्भर हो जाता है। मशीन सही है या गलत कोई नही जानता। नेरी गांव के देवेश भी ईवीएम को बेहतर विकल्प नही मानते। उनका कहना है बैलेट से मतदान का तरीका सबसे सही है। बैलेट पर मुहर लगाने के बाद मतपत्र पेटी में डाल दिया जाता है। सबकुछ अपनी आंखों के सामने होता है। इसलिए वह बैलेट ही बेहतर विकल्प मानते हैं।