
मौसम परिवर्तन से फसलें हो रही प्रभावित
महोली–सीतापुर। पिछले कुछ दिनों से अचानक मौसम का मिजाज बदल गया है। कुछ दिनों से चल रही पुरवा हवा व हल्की बूंदाबांदी से मौसम बदल गया है। खासकर इस मौसम का सबसे अधिक असर फसलों पर पड़ रहा है। एक तरफ जहां आम का बौर झड़ कर बर्बाद हो जाता है, वहीं फसलों में माहू कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। माहू कीट से रवी की फसल प्रभावित हो जाती है। माहू कीट रवी की फसल गेंहूँ, मटर, चना, सरसों, आलू, मसूर आदि के पौधे का रस चूसते हैं। जिससे फसलें जड़ से बर्बाद हो जाती हैं। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करके ही फसल को बचा सकते हैं। चंद्रा गांव के राम कुमार कनौजिया ने बताया कि उन्होंने तीन बीघे जमीन में सरसों की फसल बोई है। फसल में माहू कीट ने हमला कर दिया है। कृषि रक्षा इकाई से कीटनाशक दवाएं लाये हैं। जिससे छिड़काव के बाद ही माहू कीट से मुक्ति मिलेगी। टिकरा खुर्द गांव के किसान रिंकू सिंह ने बताया उन्होंने दो एकड़ खेत में सरसों व दो एकड़ में गेहूं की फसल बोई है। माहू कीट को लेकर सावधान हैं। अगर फसलों में कीट लगता है तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करेंगे।
माहू से कैसे करे बचाव
कृषि रक्षा इकाई के एडीओ पीपी सुरेंद्र सिंह ने बताया वह फसलें जिनमें फूल निकल आये हैं। ऐसी फसलों को माहू कीट से खतरा रहता है। फसलों की सुरक्षा के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। इसके लिए कीटनाशक दवा कुनाल फास 25 ईसी कृषि रक्षा इकाई से लेनी है। 500 एमएल दवा डेढ़ सौ लीटर पानी में घोलनी है। जिसे टंकी में भरकर छिड़काव किया जाता है। इस तरह 500 एमएल दवाई से एक एकड़ खेत में छिड़काव हो जाता है। इसी तरह दूसरी दवा इमिडा क्लोप्रिड है। 100 एमएल दवा दो सौ लीटर पानी में तैयार की जाती है। जिसे प्रति एकड़ जमीन के हिसाब से छिड़काव किया जाता है।