सीतापुर : बगैर परमिट काट डाले आम के हरे-भरे पेड़

पुलिस की कार्यवाही पर उठ रही उंगलियां

सीतापुर। महोली में श्रावण मास में वन विभाग के संरक्षण में लाखों पौधे रोपित किये जाते हैं। सरकारी अमला के साथ-साथ आम आदमी भी इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए आतुर रहता है। इसके उलट महोली क्षेत्र के एक गांव में प्रतिबंधित हरे-भरे दो आम के वृक्ष काट दिए गए। हैरत की बात यह है इस प्रकरण की पूरी जानकारी महोली पुलिस को थी। हल्का इंचार्ज पुलिस बल के साथ मौके पर भी पहुंची। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नही की गयी। मामला कोतवाली क्षेत्र के सेमौरा गांव से जुड़ा हुआ है। सेमौरा गांव में आम के दो वृक्ष बगैर परमिट के काट दिए गए। बताते हैं वृक्षों की लकड़ी भी एक आरा मशीन पर बेंच दी गयी।

पुलिस के संज्ञान के बाद भी नही हुई कार्रवाई

एक तरफ जहां ये सारा प्रकरण पुलिस के संज्ञान में हुआ, वहीं पुलिस की कार्यशैली पर उंगलियां उठ रही हैं। आखिर क्या वजह रही जो पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले पर पर्दा डालने में जुटी है? लोग दबी जुबान यहां तक कह रहे हैं, इस प्रकरण में लकड़ी के सौदागरों को पुलिस संरक्षण प्राप्त है। इस संबंध में वन दरोगा मुकेश वर्मा ने बताया हमारे यहां से किसी तरह की परमीशन नही ली गई है। अगर पेड़ काटे गए है तो जांच कराई जाएगी। सीओ अमन सिंह ने बताया मामला संज्ञान में आया है। जांच कराकर सभी दोषियों पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

वन विभाग को नही लगी भनक

बगैर परमिट के आम के वृक्ष काट डाले गए। वन विभाग को इसकी भनक तक नही लगी। लकड़ी का करीब 40 हजार रुपयों का सौदा भी कर डाला गया। सूत्रों की माने तो ठेकेदारों ने लकड़ी को एक आरा-मशीन पर बेंच दिया है। ये सबकुछ पुलिस के संज्ञान में हुआ है। वन विभाग इस प्रकरण से पूरी तरह अनजान है। वन विभाग के वन दरोगा ने बताया आम के वृक्ष प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं। बिना परमिट के वृक्ष कटाना गैरकानूनी है।

एक पेड़ से 230 लीटर मिलती है ऑक्सीजन

एक स्वस्थ पेड़ से प्रतिदिन करीब 230 लीटर ऑक्सीजन मिलती है। जिससे सात लोगों को ‘प्राण वायु’ का लाभ मिलता है। पर्यावरण संतुलन में वृक्षों का काफी अहम योगदान रहता है। शासन व प्रशासन एक मिशन की तरह से पौधारोपण का कार्य करते हैं, वहीं कुछ लोग उनके मंसूबों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं। महोली इलाके में बगैर परमिट के हरेभरे वृक्षों पर आरा चल रहा है। जिसकी बानगी बुधवार को सेमौरा कला गांव में देखने को मिली। अचरज की बात है, पुलिस के जिम्मेदार मूक दर्शक बने हुए हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें