सीतापुर: सत्ता का सियासी टिकट, गिरेंगे कई ‘विकेट’

महोली-सीतापुर। निकाय चुनाव नजदीक आते देख अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारों ने सत्तारूढ़ पार्टी का टिकट हथियाने के लिए सारे हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं। यहां तक कि कुछ उम्मीदवारों ने जनता की बीच जाकर चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। भाजपा का सिंबल पाने के लिए उम्मीदवारों में होड़ मची हुई है। अब देखना ये दिलचस्प होगा भाजपा आलाकमान किस नाम का एलान करते हैं। इतना तो तय हैं टिकट फाइनल होने के बाद कई उम्मीदवारों के विकेट गिरेंगे। इसके बाद टिकट से वंचित उम्मीदवार भाजपा के साथ रहेंगे अथवा बगावत करेंगे।

जिसकी गोटी फिट, उसकी सियासत हिट

इस समय नगर में जगह-जगह निकाय चुनाव के चर्चे चल रहे हैं। खासकर अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की फेहरिस्त काफी लंबी हो गयी है। दिसंबर माह में निकाय चुनाव का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इस हिसाब से निकाय चुनाव का समय करीब आ रहा है। समय के साथ-साथ दावेदारों की कतार लंबी होती जा रही है। भाजपा से टिकट लेने वालों की होड़ लगी हुई है। सभी दावेदार अपनी-अपनी गोटी फिट करने में जुटे हैं। उम्मीदवार ये मान कर चल रहे हैं किसी तरह से टिकट मिल जाये। एक बार टिकट मिल गया तो किसी तरह नैया भी पार लग जायेगी। ये तो वहीं बात हुई जिसकी गोटी फिट उसकी सियासत हिट। पिछले चुनाव में भी कुछ इसी तरह माहौल बना था। सामान्य महिला सीट पर भाजपा आला कमान ने ओबीसी कैंडिडेट सरिता गुप्ता को मैदान में उतारा था।

भाजपा का सिंबल पाने के लिए मची होड़

त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी सरिता गुप्ता जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। वहीं सपा ने ब्राम्हण चेहरा मैदान में उतारा था। उस समय जनता के मध्य चर्चे हो रहे थे अगर निर्दल प्रत्याशी ममता शुक्ला चुनाव नही लड़ी होती तो परिणाम कुछ और ही आता। दरअसल 20 वर्षों तक अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण चेहरा जीतने में कामयाब रहा था। सीट बदलने के बाद ओबीसी सीट पर प्रथम बार दिनेश गुप्ता ने जीत दर्ज की थी।

इसके बाद 2017 में सीट सामान्य महिला हो गयी थी। इस बार भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने ओबीसी चेहरा सरिता गुप्ता पर दांव खेलकर जोखिम लिया था और उनकी रणनीति कारगर हुई थी। जिसकी मुख्य वजह निर्दलीय प्रत्याशी के साथ त्रिकोणीय मुकाबले से बनी। इस बार सुनने में आ रहा है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व किसी ब्राम्हण चेहरे पर दांव लगा सकते हैं। हालांकि पिछली बार की विजेता प्रत्याशी सरिता गुप्ता भी भाजपा से टिकट की प्रबल दावेदार हैं। उधर पिछले चुनाव में सपा प्रत्याशी रहे अशोक दीक्षित के साथ एक मजबूत चेहरा लगातार साथ देखा जा रहा है। जिसकी नगर में काफी चर्चा हो रही है। अगर अध्यक्ष पद की सीट सामान्य हुई तो पिछले चुनाव के रनर रहे अशोक दीक्षित का दावा मजबूत माना जा रहा है।

माननीयों के अलग-अलग ‘चेहरे’

भाजपा से टिकट मांगने वालों में कई नामचीन चेहरे पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए सभी की अलग-अलग माननीयों से सांठगांठ चल रही है। सभी अपनी-अपनी गोटी फिट करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं भाजपा से कोई अप्रत्याशित चेहरा सामने आ सकता है। नगर में ऐसी चर्चा है अगर ऐसा हुआ तो इस बार भी भाजपा अपनी सीट बचाने में कामयाब हो सकती है। हालांकि पिछले मैच में विजेता प्रत्याशी भी टिकट की रेस में बनी हुई है।

जनप्रतिनिधियों के अलग-अलग मत और कैंडिडेटस हैं। अब सत्ता का सियासी टिकट किसी एक को ही मिल सकता है। ऐसे में टिकट की रेस में बने हुए अन्य उम्मीदवारों के विकेट गिरने तय हैं। टिकट से वंचित चेहरे भाजपा में बने रहते हैं अथवा बगावत करेंगे ये आने वाला वक्त बताएगा। फिलहाल महोली नगर पंचायत के लिए उम्मीदवार को लेकर शीर्ष नेतृत्व के बीच मंथन चल रहा है।

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