सीतापुर। प्रदेश शासन के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र नैमिषारण्य पहुंचे तो उस समय नैमिषारण्य तीर्थ में संस्कृत शिक्षा से जुड़े आचार्यों और छात्रों ने राजघाट पर ही मुख्य सचिव को एक ज्ञापन सौंपकर अपील की। गोमती के राजघाट पर संस्कृत विद्यालय के प्रबंधक सर्वेश शुक्ला, अतुल मिश्रा सहित कई संस्कृत भाषा प्रेमियों ने मुख्य सचिव को संस्कृत भाषा की आधार भूमि रहे नैमिषारण्य तीर्थ में संस्कृत ऋषिकुल विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग को लेकर मांग पत्र सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से आचार्यों ने बताया कि नैमिषारण्य तीर्थ अनादिकाल से सनातन धर्म और संस्कृत शिक्षा का केंद्र बिंदु रहा है।
संस्कृत शिक्षा के एक नए अध्याय का होगा प्रारंभ
नैमिषारण्य तीर्थ के महत्व और यहां आदिकाल से संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार व महत्व को देखते हुए भाजपा द्वारा 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जारी संकल्प पत्र में भी संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना का जिक्र किया गया था। भाजपा की सरकार बनने पर नैमिषारण्य तीर्थ अंतर्गत प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए भूमियों का सर्वे भी किया गया था पर सर्वे के कुछ ही समय बाद ये मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया अतः अगर यहां पर संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाती है तो इस भूमि से संस्कृत शिक्षा के एक नए अध्याय का प्रारंभ होगा।
वहीं साथ ही न केवल सीतापुर जनपद बल्कि लखनऊ व आसपास के कई मंडलों के जनपदों में संस्कृत छात्रों और इस भाषा के प्रेमियों के लिए भी ये बड़ी खुशखबरी होगी। ज्ञापन मिलने पर मुख्य सचिव ने इस बिंदु पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए जल्द ही विचार करने की बात कही।