सीतापुर। नैमिषारण्य तीर्थ की आध्यात्मिक ऊर्जा मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह पावन भूमि स्वयं त्रिदेव सहित प्रभु श्रीराम, महर्षि वेदव्यास, सूत जी, शौनक जी, महर्षि दधीचि सहित 88000 ऋषियों के तप, ध्यान और विभिन्न अनुष्ठानों की साक्षी रही है। यहां से मिले आनन्द का वर्णन अकल्पनीय है। उपरोक्त बातें आंध्र प्रदेश/तेलंगाना से नैमिषारण्य तीर्थ में दर्शन पूजन करने आये न्यायाधीशों ने कहीं।
कड़ी सुरक्षा के बीच नैमिष तीर्थ आये दक्षिण भारत के न्यायाधीशों आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस रवि चिमलापति, जस्टिस बी श्याम सुंदर, जस्टिस वी श्रीनिवास, जस्टिस गिरिधर, जस्टिस सुब्बारेड्डी, जस्टिस प्राधसारथी ने सबसे पहले चक्रतीर्थं ओर आचार्य सचिन पांडेय के सानिध्य में तीर्थ के जल में पूजन किया। इसके बाद उन्होंने ललिता देवी, हनुमान गढ़ी, व्यासगद्दी, सूत गद्दी, देवदेवश्वर आदि मंदिरों में देवदर्शन किया।
इसी कड़ी में उन्होंने वैखानस समाज के श्री भूसमेत श्रीबालाजी मंदिर में आश्रम प्रमुख पराश्रम विखन्नसा आचार्य ‘भैया जी’ के सानिध्य में ‘श्री सत्यनारायण व्रत कथा’ का रसपान किया। श्री सत्यनारायण कथा का महत्व बताते हुए भैया जी ने बताया कि स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड में वर्णित इस पावन कथा की उद्गमभूमि नैमिषारण्य तीर्थ में पुण्य व्रत कथा श्रवण कई गुना अधिक फलदायी है। यही महर्षि सूत जी ने 88000 ऋषियो को सर्वप्रथम कथा सुनाई थी। कथा के बाद मन्दिर प्रमुख ने सभी न्यायधीशों को प्रसाद व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर थाना प्रभारी पंकज तिवारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।