योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ : सेक्युलर मोर्चा गठित करने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी की दीवार में दरार आनी शुरू हो गई। इस राजनीतिक भूकंप से सपा में आईं दरारें अब जिले स्तर पर भी स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पूर्व ही समाजवादी पार्टी में नेता जी के नाम से विख्यात मुलायम सिंह को उनके ही अपने बेटे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से उतार फेंका था।
साथ ही नेता जी के भाई और पूर्व मुख्यमंत्री के चर्चित चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी मंत्री पद से हाथ धोने पड़े थे। इसके बाद से ही पार्टी में उपेक्षित चल रहे शिवपाल सिंह यादव द्वारा अलग पार्टी गठन करने की चर्चाएं जोरों पर रहीं। शिवपाल पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की आस में अपना धैर्य बांधे रहे।
प्रदेश के तमाम जनपदों में बैठे उनके शुभचिंतक भी यही सोचकर चुप्पी साधे थे कि अब शायद सत्ता जाने के बाद उनके चहेते नेता शिवपाल सिंह को सम्मान वापस दिया जाएगा। हालांकि जब इसके विपरीत उन्हें और उनके नेता को ऐसा कुछ भी होते हुए नजर नहीं आया तो चंद रोज पूर्व ही अपने बड़े भाई और समाजवादी कुनबे के भीष्म पितामह कहे जाने वाले मुलायम सिंह का आशीर्वाद लेकर शिवपाल सिंह ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा पार्टी का गठन करने की घोषणा कर दी।
यह घोषणा आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मोर्चा की घोषणा के बाद से ही विभिन्न जनपदों में मायूस बैठे उनके चहेतों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। इसके बाद से उनके लिए समर्पित लोग अब समाजवादी पार्टी से किनारा कर सेक्युलर मोर्चा का दामन थामने को तैयार खड़े हैं। जनपद में भी इसका असर दिखाई देने लगा है। सपा में बाहुबली पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव के रिश्तेदार कहे जाने वाले जिला पंचायत सदस्य दीपेन्द्र यादव ने अपने तमाम सहयोगियों समेत सेक्युलर मोर्चा का दामन थाम लिया है।
और भी चहेते हैं लाइन में जिले में पूर्व मुख्यमंत्री के चाचा के चहेतों की कमी नहीं है।
चाहे बात करें पूर्व एमएलसी की या फिर सपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष की अथवा विधायक का रातो-रात टिकट पाने वाली नेत्री की। इसके अलावा भी कुछ चर्चित नाम हैं जिन्होंने सपा शासन में शिवपाल सिंह के सहयोग में काफी तरक्की की है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि उनके पक्ष में सब कुछ ठीक न रहा तो जल्द ही वे सेक्युलर मोर्चा का दामन थाम सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो समाजवादी पार्टी को जनपद में खासा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।