विश्व नर्स दिवस पर विशेष : खुद की परेशानियों के बावजूद भी जनसेवा में जुटी है नर्सें

विश्व की पहली नर्स फ्लोरेंस नाईट एंगल की याद में मनाये जा रहे विश्व नर्स दिवस पर यहां हमीरपुर जनपद की कुछ ऐसी नर्सों की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है जो खुद की परेशानियों को दरकिनार कर जनसेवा में जुटी है। कहने को तो यह इनका पेशा है जिसकी इन्हें सरकार से पगार मिलती है लेकिन इससे कहीं ज्यादा औरों के दर्द को अपना समझकर उसे दूर करने में इन्हें भी आत्मिक सुख मिलता है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही नर्सों के बारे में बतायेंगे जिन्होंने मरीजों के लिये अपना सारा दर्द ही भूल जाती है।  जिला महिला अस्पताल की स्टाफ नर्स राधा अपने काम को लेकर पूरी तरह से समर्पित हैं। ड्यूटी शुरू होने से पहले ही अस्पताल पहुंच जाती हैं और ड्यूटी समाप्त होने के बाद भी कुछ देर तक अपने मरीजों के बीच रहते हुए वक्त गुजारती हैं।  नर्स राधा ने सोमवार को बताया कि कि कोविड-19 को लेकर उनके भी परिवार के बीच चिंता है। प्रसव के लिए पहुंचने वाली सभी महिलाओं के साथ सामान्य बर्ताव करती हैं। कई बार ऐसे मौके भी आते हैं, जब डॉक्टर के बिना भी उन्हें प्रसव जैसे जटिल काम को कराना होता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में दर्जनों जोखिम भरे प्रसव करवाएं हैं। इन हालातों में जब नन्हीं किलकारियां लेबर रूम में गूंजती हैं तो उन्हें अपने काम पर गर्व होता है।  महिला अस्पताल की ही सीनियर स्टाफ नर्स विनीता सचान भी अपने काम के प्रति समर्पित हैं। इनकी खूबी यह है कि जोखिम भरी डिलेवरी होनी है तो इन्हें ही याद किया जाता है। विनीता अपने इस काम को बड़ी ईमानदारी से अंजाम देती हैं। इनका कहना है कि मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के मिशन पर काम कर रहे हैं।  जनपद के दूरस्थ राठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स सुनीता कुमारी भी अपने काम में महारत रखती हैं। राठ जनपद मुख्यालय से 85 किमी दूर है और आसपास के दर्जनों गांवों की गर्भवती महिलाओं के लिए यही एकमात्र सहारा है। सुनीता बताती हैं कि दुनिया कोविड-19 के खतरे में जी रही है। वह लोग भी इस बीमारी को लेकर काफी सजग हैं, मगर अपने काम को अंजाम देने से पीछे नहीं हैं। मरीजों की सेवा में रात-दिन लगी हुई है।  सीएचसी मौदहा में तैनात सताक्षी कुशवाहा स्टाफ नर्स होने के साथ-साथ नर्स मेंटर भी हैं। वह स्वयं अपने क्षेत्र की नर्सों को ट्रेंड करती हैं। गर्भवती महिलाओं की काउंसिलिंग करती हैं। इसके साथ ही प्रसव के समय भी मुस्तैदी से ड्यूटी करती हैं। सताक्षी कहती हैं कि मरीजों की सेवा में जो सुख मिलता है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने भी सेवाभाव की वजह से इस पेशे को चुना है।   कार्य के प्रति समर्पित हैं जनपद की नर्सेसआरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ.रामअवतार कहते हैं कि जनपद में कार्यरत समस्त नर्सें अपने कार्य के प्रति समर्पित हैं। नर्से लेबर रूम से लेकर टीकाकरण जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसकी वजह से मातृ और शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है।  क्यों मनाते हैं नर्स दिवस नर्स प्रणाली की संस्थापक फ्लोरेंस नाईिटंगल के जन्मदिन 12 मई को हर वर्ष नर्स दिवस के रूप में मनाते हैं। वर्ष 1965 से यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय नर्स काउंसिल द्वारा नर्स दिवस मनाया जा रहा है। हर वर्ष के नर्स दिवस की थीम अलग-अलग होती है। इस वर्ष की थीम है नर्सिंग द वर्ल्ड टू हैल्थ यानि नर्सिंग स्वास्थ्य के लिए दुनिया।

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