श्रीलंका को मिला नया प्रधानमंत्री, रानिल विक्रमसिंघे आज लेंगे शपथ

श्रीलंका में कर्ज, हिंसा और आर्थिक संकटों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे गुरुवार को श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के समक्ष स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे शपथ समारोह होगा। श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट है है फिर भी उन्हें नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जा रहा है। 73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के साथ बातचीत की थी और इस चर्चा के बाद उनके नाम पर मुहर लगी है। हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ कि विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) जो केवल एक सीट तक सीमित है, बहुमत कैसे हासिल करेगी।

प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के विवादास्पद इस्तीफे के बाद खाली हुए पद पर रानिल विक्रमसिंघे द्वीप राष्ट्र में रिकॉर्ड छठी बार प्रधानमंत्री पद संभालेंगे। बुधवार की रात को राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति गोटाबाया ने घोषणा की थी कि उनके भाई महिंदा राजपक्षे और उनकी सरकार द्वारा खाली किए गए पदों के लिए एक नए पीएम की नियुक्ति होगी और सरकार में बदलाव किया जाएगा।

भारत से क्या है रानिल विक्रमसिंघे का नाता

महिंदा राजपक्षे चीन के समर्थक मानें जाते हैं, लेकिन उनकी अपेक्षा में रानिल विक्रमसिंघे का झुकाव भारत की तरफ अधिक रहा है। या यूं कहें कि वो भारत के अधिक करीब मानें जाते हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि विक्रमसिंघे के पीएम बनने के बाद दोनों देशों के संबंधों में और मधुरता आएगी।

राष्ट्रपति प्रणाली होगी समाप्त

गोटाबाया ने ये भी कहा कि वह कार्यकारी अध्यक्ष की 19 वीं संशोधन की शक्तियों को फिर से शुरू करने और संसद को कई शक्तियां देने के लिए काम करेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने पर भी सहमति व्यक्त की। राजपक्षे ने कहा कि नई सरकार एक ऐसे प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जाएगी जो संसद में बहुमत हासिल कर सके।

नए पीएम को करना होगा बड़ी चुनौतियों का सामना

बता दें कि श्रीलंका में महंगाई के कारण आम जनता सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर गई है। अनाज से लेकर दूध-दवा तक की कमी से श्रीलंका जूझ रहा है। यहाँ हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि लोग हिंसा तक पर उतर आए हैं और सरकार भी आम जनता के खिलाफ सख्त फैसले ले रही है। ऐसे में नए प्रधानमंत्री के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट