कानपुर : एसटीएफ ने किया सॉल्वर गिरोह के तीन शातिरों को गिरफ्तार

रेलवे ग्रुप डी परीक्षा देने आए सॉल्वर दबोचे

कानपुर. उत्तर प्रदेश में कानपुर के कल्याणपुर क्षेत्र में पुलिस की स्पेशल टाॅस्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप डी परीक्षा में साल्वर गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि एसटीफ की कानपुर यूनिट ने रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप डी परीक्षा में साल्वर गैंग के तीन शातिरों को पकड़ा है। गैंग में शामिल साल्वर रेलवे समेत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र आउट कराकर साल्वर बैठाकर अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर काम को बेहद शातिर तरीके से अंजाम देते थे। इस गिरोह के तार प्रदेश के साथ भिन्न-भिन्न परीक्षा सेन्टरों पर कई राज्यों तक फैला है।

उन्होंने बताया कि एसटीएफ ने गिरोह में शामिल बिहार निवासी दुर्गेश कुमार, औरंगाबाद निवासी नीतीश कुमार तथा प्रयागराज जिले के निवासी राजेश कुमार है। इनके कब्जे से तीन मोबाइल, तीन एडमिट कार्ड, दो फर्जी वोटर आई कार्ड चार फर्जी आधार कार्ड, नगदी तथा दो एटीएम कार्ड बरामद किया है। आरोपियों के खिलाफ कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी है।

एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि मुख्य सरगना का पटना में कनक नाम से डिजिटल स्टूडियो है। वह प्रयागराज निवासी अंकित पांडेय के साथ मिलकर पूरा गिरोह संचालित करता है। यह लोग फर्जी आई बनाने तथा मिक्सिंग फोटो तैयार करने का काम करते हैं। रुपया वसूलने के बाद साल्वर को फर्जी आईडी तथा मिक्सिंग से तैयार एडमिट कार्ड देकर सम्बन्धित जिलों को भेजते हैं जहां कैंडिडेट मिलता है वह उनको सेंटर तक ले जाता है। कभी-कभी साल्वर अकेले जाता है। प्रत्येक कैंडिडेट से पांच से छह लाख रुपये वसूली जाती है। यह लोग साल्वरों को दस हजार से 50 हजार रुपये देकर गिरोह संचालित करते हैं।

एसटीएफ की स्थानीय इकाई के प्रभारी घनश्याम यादव के मुताबिक ने उनकी टीम ने पिछले दिनों कल्याणपुर इलाके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में दूसरों की जगह परीक्षा देने वाले साल्वरों को पकड़ा था। उन लोगों से पूछताछ में गैंग से जुड़े कुछ और सॉल्वरों के बारे में जानकारी मिली थी। एसटीएफ तब से इस मामले में लगी थी।

रेलवे ग्रुप डी परीक्षा देने आए सॉल्वर दबोचे

सोमवार को कल्याणपुर इलाके से रेलवे ग्रुप डी भर्ती परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा देने आए सॉल्वर खैरामाठ पारवा,  जयनगर मधुबनी (बिहार) निवासी दुर्गेश कुमार, कुंजी विगहा दाऊद नगर, औरंगाबाद (बिहार) निवासी नीतीश कुमार और अभ्यर्थी अजबैया, सुदनीपुर कला, हनुमानगंज (प्रयागराज) निवासी राजेश कुमार भरतीया को अलग-अलग जगह से गिरफ्तार कर लिया।

सॉल्वर गैंग के मुख्य सरगना सॉल्वर बैठाने के साथ ही विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पत्र आउट करा कर मोटी कमाई करते हैं। सॉल्वरों ने पूछताछ में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में यूपी, एमपी, बिहार और झारखंड के परीक्षा सेंटरों पर अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा देने की बात कबूली है। नीतीश और दुर्गेश ने गैंग से जुड़े कई लोगों के नाम बताए हैं, जिनकी तलाश में एसटीएफ जुटी है।

इनकी है तलाश
गैंग का मुख्य सरगना कनक जी मुसहमपुर हॉट, पटना (बिहार) का रहने वाला है। वह कनक डिजिटल स्टूडियो चलाता है। जबकि यूपी का सरगना मिरईपुर, फतुहा, प्रयागराज का रहने वाला है। दोनों की एसटीएफ को तलाश है।

रेलवे ग्रुप डी परीक्षा देने आए सॉल्वर दबोचे

रेलवे ग्रुप डी परीक्षा देने आए सॉल्वर दबोचे
ये हुआ बरामद
तीन मोबाइल फोन, रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा ग्रुप (डी) के तीन अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र, दो फर्जी वोटर आईडी, चार फर्जी आधार कार्ड, दो एटीएम।

सॉल्वर के रेट 10 से 50 हजार तक
कानपुर। एसटीएफ ने जिन सॉल्वरों को पकड़ा है, वे पढ़े लिखे हैं। दोनों सॉल्वर स्नातक पास हैं। इस धंधे से जुड़े पुराने सॉल्वरों को दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने पर 10 से 50 हजार रुपये मिलते थे। वहीं नए सॉल्वर को 10 से 20 हजार रुपये दिए जाते थे। बाकी रकम गैंग के सरगना के खाते में जाती थी। आरोपियों का कहना है कि शार्ट कट से मोटी रकम कमाने के चक्कर में वे सॉल्वर गैंग के जाल में फंस गए।  सॉल्वर दुर्गेश ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र आउट कराने और साल्वर बैठाने के एवज में वह एक अभ्यर्थी से  पांच से छह लाख रुपये वसूलते थे। वह कई राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं में सॉल्वर बैठा चुका है।

मिक्सिंग से तैयार करते थे आईडी व प्रवेश पत्र
मुख्य सरगना कनक जी यूपी के सरगना अंकित पांडेय अभ्यर्थी से रुपया वसूलते थे। इसके बाद दोनों कनक के पटना स्थित कनक जी डिजिटल स्टूडियो में बैठकर फर्जी आईडी व मिक्सिंग फर्जी प्रवेश पत्र तैयार करते थे। फिर सॉल्वर को संबंधित जिले में भेज देते थे।

 

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