कोलकाता । कोलकाता में एक एेसे बच्चे का जन्म हुआ है जिसके दो सिर और तीन हाथ हैं। उसके एक हाथ में पांच के बजाय 10 अंगुलियां हैं। हालांकि जन्म के 40 मिनट के अंदर ही बच्चे की मौत हो गई। बच्चे का जन्म बुधवार को कोलकाता के पार्क सर्कस स्थित नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुआ था। उसकी मौत के बाद देर रात तक चिकित्सक इस उहापोह में थे कि उसे परिजनों को सौंपा जाए या रिसर्च के लिए रखा जाए। गुरुवार को तय किया गया है कि बच्चे का अंतिम संस्कार करने के बजाय उसे रिसर्च के लिए रखा जाएगा। नेशनल मेडिकल कॉलेज की ओर से इस बारे में गुरुवार को जानकारी दी गई है।
बताया गया है कि दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर रामनगर एक नंबर पंचायत की रहने वाली फरीदा परवीन को एक सप्ताह पहले प्रसव पीड़ा होने के बाद कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया था। एक्सरे जांच के बाद चिकित्सकों ने बताया था कि उसके पेट में जुड़वा बच्चे हैं। बुधवार को प्रसव पीड़ा होने के बाद चिकित्सकों ने सुरक्षित डिलीवरी भी कराई लेकिन जब बच्चे को बाहर निकाला गया तो पता चला कि वह नॉर्मल नहीं है। उसका शरीर तो एक था लेकिन उसमें दो सिर थे। दो में से एक सिर में जान थी और दूसरा हिस्सा निर्जीव था। दो पैर थे जबकि तीन हाथ थे। उसमें से भी प्रत्येक हाथ में 10 उंगलियां थीं।
बच्चा सांस तो ले रहा था लेकिन सब कुछ असाधारण तरीके से घट रहा था। चिकित्सक मुश्किल में पड़ गए थे कि उसे कैसे बचाया जाए। तुरंत स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी गई थी। कोलकाता और आसपास के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भी नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंच गई थी। उसका इलाज शुरू किया गया था लेकिन 40 मिनट बाद उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल की प्रसूति विशेषज्ञ चिकित्सक डॉक्टर अर्घ्य मित्र ने बताया कि बुधवार दोपहर जब फरीदा को बहुत अधिक दर्द होने लगा था तो हम लोगों ने निर्णय लिया कि ऑपरेशन कर बच्चे का जन्म कराया जाएगा। ऑपरेशन नहीं करने पर मां और बच्चे दोनों की मौत हो सकती थी। इसलिए सीजर किया गया। जब बच्चे का जन्म हुआ तो सारे लोग चकित हो गए थे।
हालांकि उसकी मां को सुरक्षित बचा लिया गया है। बच्चे के पिता शहीदुल सरदार ने बताया कि इस असामान्य बच्चे के जन्म के बाद हम लोग भी मुश्किल में पड़ गए थे। चिकित्सकों ने काफी कोशिश की बचाने की लेकिन उसकी मौत करीब 40 मिनट बाद ही हो गई थी। अस्पताल की ओर से हमसे पूछा गया था कि हम बच्चे को लेंगे या रिसर्च के लिए दान देंगे। हम लोगों ने भी कह दिया था कि अगर अस्पताल चाहे तो निश्चित तौर पर बच्चे के शव को रखकर रिसर्च कर सकता है। हमें कोई समस्या नहीं।
देर रात तक इस पर बैठकें हुई और अंत में अस्पताल की ओर से कहा गया कि इस तरह से अगर बच्चों का जन्म हो या गर्भ में ऐसे बच्चों की मौजूदगी की जानकारी मिले तो उसका कैसे इलाज किया जा सकता है, इसे समझने के लिए इस पर रिसर्च किया जाएगा। उसके बाद हम लोगों ने उसे अस्पताल में दान करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी स्वास्थ्य है यही सुकून वाली बात है। वह ठीक रहेगी तो दोबारा बच्चा होगा। चिकित्सक ने बताया कि उसकी मां का भी इलाज करना पड़ेगा।